भगत दा का भोलापन

भगत दा का भोलापन

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

पहाड़ के लोग सीधे-सादे और सरल स्वभाव के होते हैं। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी पहाड़ के निवासी हैं। राजनीति में वह इसीलिए बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाये जबकि उत्तराखंड के निर्माण में उनका महती योगदान रहा है। भगत दा जानते हैं कि उगते हुए सूरजों को ही प्रणाम किया जाता है। इसीलिए एक कार्यक्रम ने दौरान उन्हांेने वहां के नेता और केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर को नये जमाने का आदर्श बताया। वह यहीं तक सीमित रहते तो शायद बखेड़ा न होता। राज्यपाल कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राजनीति के सबसे बड़े आदर्श छत्रपति शिवाजी को पुराने जमाने का आदर्श बता दिया। महाराष्ट्र में वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान को लेकर घमासान मचा हुआ ही था कि भगत सिंह कोश्यारी का नये-पुराने आदर्श का मामला विवाद का विषय बन गया। भाजपा-शिवसेना की सरकार भी अपने राज्यपाल पर बरस पड़ी। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और उद्धव गुट की शिवसेना को तो जैसे संजीवनी ही मिल गयी है। भगत सिंह कोश्यारी को राज्यपाल पद से हटाने तक की मांग की जाने लगी है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने मांग की कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में उनकी हालिया टिप्पणी के लिए राज्य से बाहर भेज दिया जाए। बुलढाणा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले गायकवाड़ ने दावा किया कि कोश्यारी ने मराठा साम्राज्य के संस्थापक के बारे में बयान देकर अतीत में भी विवाद खड़ा किया था। संजय गायकवाड़ ने कहा कि, राज्यपाल को यह समझना चाहिए कि छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्श कभी पुराने नहीं पड़ते और उनकी तुलना दुनिया के किसी भी महान व्यक्ति से नहीं की जा सकती है। केंद्र में भाजपा नेताओं से मेरा अनुरोध है कि एक ऐसा व्यक्ति जो राज्य के इतिहास को नहीं जानता है और यह कैसे काम करता है, इसे कहीं और भेजा जाए।

संजय गायकवाड़ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी बालासाहेबंची शिवसेनाइ गुट के विधायक हैं। यह गुट महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में सरकार चला रहा है। कोश्यारी ने शनिवार को कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने दिनों के आदर्श थे। राज्य में आदर्शों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का जिक्र किया था। इसकी एनसीपी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने भी आलोचना की थी। राज्यपाल ने औरंगाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता गडकरी और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को डीलिट की डिग्री प्रदान करने के बाद यह टिप्पणी की थी।

कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को उनकी उन टिप्पणियों को लेकर वापस बुलाने की मांग की, जिसमें उन्होंने मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज को पुराने जमाने का आदर्श बताया था। पटोले ने भारतीय जनता पार्टी से माफी की मांग करते हुए दावा किया कि उसके नेता सुधांशु त्रिवेदी ने शिवाजी महाराज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है। पटोले ने यहां संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस वैचारिक रूप से स्वच्छ महाराष्ट्र के लिए काम करेगी और वह समाज सुधारकों महात्मा फुले, सावित्रीबाई फुले और छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी।

पटोले ने दावा किया कि कोश्यारी ने महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने शिवाजी महाराज पर टिप्पणियों के लिए राज्यपाल पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने भी यह कहकर छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी कि उन्होंने (शिवाजी महाराज) मुगल बादशाह औरंगजेब से पांच बार माफी मांगी।

पटोले ने कहा, ‘‘इसे सहन नहीं किया जाएगा। भाजपा को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी और राज्यपाल को वापस बुलाना होगा।

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की शिवाजी महाराज पर टिप्पणियों के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सफाई दी। गडकरी ने कहा, शिवाजी महाराज हमारे भगवान हैं। गौरतलब है कि कोश्यारी ने शिवाजी की तुलना नितिन गडकरी से की थी। उन्होंने कहा था, शिवाजी महाराज एक पुराने आदर्श बन गए हैं। अब आप बाबा साहब आंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी को आदर्श बना सकते हैं। नितिन गडकरी ने मराठी में संबोधित करते हुए कहा कि, शिवाजी महाराज हमारे देवता हैं। हमारे अंदर मां और पिता से भी अधिक शिवाजी महाराज के प्रति निष्ठा है। उनका जीवन हमारे लिए आदर्श है। वे यशस्वी, कीर्तिवान, सामर्थ्यवान जनता राजा थे। वे दृढ़ संकल्प के महामेरु, अभंग श्रीमंत योगी थे। वे डीएड, बीएड कर लेने वाले राजा नहीं थे। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा, यह आपके बेटे का समय है। कठोर शिक्षा देने से राजा बनता है। नितिन गडकरी ने इस प्रकार विधायक गायकवाड के गुस्से को शांत करने का प्रयास किया। विधायक ने कहा था, ‘‘राज्यपाल को समझना चाहिए कि छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्श कभी पुराने नहीं पड़ते और उनकी तुलना दुनिया के किसी भी अन्य महान व्यक्ति से नहीं की जा सकती है। मेरा केन्द्र के भाजपा नेताओं से अनुरोध है कि जिस व्यक्ति को राज्य के इतिहास का नहीं पता है, कैसे यह काम करता है, उसे दूसरी जगह भेजा जाना चाहिए। शिवसेना ने मुखपत्र सामना में मराठी गौरव के प्रतीक अपमान के लिए राज्यपाल से माफी मांगने की मांग की। वहीं भाजपा से राज्यपाल की टिप्पणी पर अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा। सामना के संपादकीय में कहा गया, श्राहुल गांधी की सावरकर पर टिप्पणी की तरह राज्यपाल के बयान को उनकी निजी राय नहीं कहा जा सकता। महाराष्ट्र के लोगों की भी निजी राय है कि जो भी छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान करेगा, उसे राज्य के सामने माफी मांगनी होगी। संपादकीय में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की चुप्पी पर निशाना साधा गया है। साथ ही कहा गया कि शिंदे और फडणवीस सरकार में राज्यपाल का विरोध करने की हिम्मत नहीं है। शिवसेना के मुखपत्र ने भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के उस बयान की भी निंदा की जिसमें दावा किया गया था कि शिवाजी ने मुगल बादशाह औरंगजेब से पांच बार माफी मांगी थी। संपादकीय में महाराष्ट्र के लोगों से उठने और राज्यपाल के बयान का विरोध करने के लिए कहा गया है।
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