बाबा विश्वनाथ से रामेश्वर धाम तक संवाद

बाबा विश्वनाथ से रामेश्वर धाम तक संवाद

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आगामी 19 नवम्बर को उत्तर-दक्षिण सांस्कृतिक समागम का प्रारम्भ करने वाले हैं। बाबा विश्वनाथ के धाम से दक्षिण में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आराध्य भगवान शंकर के धाम रामेश्वरम तक का यह संवाद विशुद्ध राजनीतिक नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दक्षिणी राज्यों के लोगों से संवाद बढ़ाने का प्रयास बहुत पहले से कर रहे हैं। काशी, तमिल संगमम् को एक वैचारिक सेतु के रूप में भी देखा जाना चाहिए। भाषा के नाम पर विशेष रूप से उत्तर और दक्षिण विभाजित नजर आते हैं। उनको यह महसूस होता है कि राष्ट्र भाषा हिन्दी उन पर थोपी जा रही है इसलिए भाषाई टकराव समाप्त करने का यह अच्छा प्रयास है। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी में शुरू करने के लिए एमबीबीएस की तीन किताओं का विमोचन किया था। उस समय भी इसे दक्षिण के राज्यों पर हिन्दी थोपना बताया गया था। इसलिए काशी से तमिलनाडु के रिश्तों को प्रगाढ़ करने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने काशी-तमिल संगमम का आयोजन किया है। बनारस हिन्दी यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के मैदान में यह प्रदर्शनी लगायी जाएगी। तमिलनाडु के 12 प्रमुख मठ व मंदिरों में आदिनम (महंत) भी काशी में सम्मानित भी किये जाएंगे।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से काशी तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है। काशी तमिल संगमम 1 महीने तक चलने वाला वह कार्यक्रम है जिसकी शुरुआत से होगी। काशी तमिल संगमम का उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच ज्ञान और प्राचीन सभ्यता, संबंधों के सदियों पुराने बंधन को फिर से खोजना है और संस्कृति का आदान प्रदान करना है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मीडिया को संबोधित करते हुए और 12 समूह में 2400 से अधिक तमिल लोगों को इस बात की जानकारी दी है कि 19 नवंबर से काशी तमिल संगमम आयोजित किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने शिक्षाविदों, दर्शन, कृषि, उद्यमिता, कला आदि सहित समाज के लिए एक विशाल और विविध वर्ग को इस विषय में शामिल किया है। इन 2 प्राचीन शहरों द्वारा साझा किए गए प्राचीन ज्ञान से परिचित होने के लिए यह 12 समूह 8 दिनों के लिए काशी का दौरा करेंगे। समूह रामेश्वरम, चेन्नई और कोयंबटूर से ट्रेन से आएंगे।इस दौरान कार्यक्रम के संगोष्ठी, व्याख्यान और चर्चा का आयोजन किया जाएगा। इस संगमम के अवसर पर धर्मेंद्र प्रधान ने महीने भर चलने वाले इस आयोजन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के लिए एक वेबसाइट भी लांच की है। इस वेबसाइट के माध्यम से जो भी इस संगमम में भाग लेना चाहते हैं वे अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। कार्यक्रम का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत किया जाएगा।

भारतीय सनातन संस्कृति के दो अहम प्राचीन पौराणिक केंद्रों के मिलन के दौरान 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में अनूठा आयोजन किया जाएगा। काशी तमिल संगमम के उद्घाटन समारोह में तमिलनाडु के 12 प्रमुख मठ मंदिर के आदिनम (महंत) को काशी की धरा पर पहली बार सम्मानित किया जाएगा। महामना की बगिया में आयोजित भव्य समारोह में सम्मान समारोह के बाद पीएम मोदी भगवान शिव के ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ और रामेश्वरम के एकाकार पर आधीनम से संवाद भी करेंगे। काशी तमिल समागमम में आने वाले आदिनाम को काशी में बसे लघु तमिलनाडु का भ्रमण भी कराया जाएगा।

इस आयोजन के होस्टिंग भागीदारी आईआईटी मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय दोनों के माध्यम से काशी-तमिल संगमम का आयोजन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह दक्षिणी राज्यों के लोगों से संवाद व समन्वय बढ़ाने के अभियान पर हैं, उसके मद्देनजर उनके संसदीय क्षेत्र में होने जा रहा यह आयोजन उत्तर से दक्षिण को साधने का प्रयत्न नजर आता है। आयोजन की महत्ता इसी से आंकी जा सकती है कि प्रधानमंत्री मोदी खुद इसका उद्घाटन करेंगे।काशी पर 19 नवंबर से एक माह तक चलने वाला काशी-तमिल संगमम् सिर्फ उत्तर और दक्षिण का सांस्कृतिक समागम नहीं, बल्कि इसके जरिए लोगों के बीच के संदेह व संशय को खत्म करना भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह दक्षिणी राज्यों के लोगों से संवाद व समन्वय बढ़ाने के अभियान पर हैं, उसके मद्देनजर उनके संसदीय क्षेत्र में होने जा रहा यह आयोजन उत्तर से दक्षिण को साधने का प्रयत्न नजर आता है।

आयोजन की बागडोर शिक्षा मंत्रालय को सौंपी गई है, वहीं मेजबाजी काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और आईआईटी मद्रास संयुक्त रूप से कर रहा है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में तमिलनाडु के प्रमुख लोगों की यात्रा, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का पिछले दिनों इस आयोजन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत-श्रेष्ठ भारत अभियान का महत्वपूर्ण पड़ाव बताना, आयोजन के दूरगामी संकेत दे रहा है। इस आयोजन का पूरा खाका और प्रस्ताव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक व इस समय भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष डॉ. चमू कृष्ण शास्त्री की तरफ से तैयार किया गया है।

एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्प को लेकर काम कर रहे प्रधानमंत्री मोदी और संघ व भाजपा के रणनीतिकारों की चिंता केरल, तमिलनाडु, आंध्र, तेलंगाना जैसे दक्षिणी राज्यों में अभी तक अपेक्षा के अनुरूप राजनीतिक पकड़ व पहुंच न बन पाना है। प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा उत्तर से दक्षिण को गहराई से जोड़ती थी। सेतुबंध रामेश्वरम अगर वैष्णव जनों की आस्था के केंद्र अयोध्या और तमिलनाडु के संबंध जोड़ता है तो दर्शन के पुनर्जागरण और हिंदू तीर्थों के पुनरुद्धार का कार्य करने वाले आदि शंकराचार्य की दक्षिण से उत्तर की यात्रा शैव-वैष्णव दर्शन के बीच समन्वय एवं इनकी महत्ता दक्षिण और उत्तर के रिश्तों की गहराई बताती है। काशी के चयन की एक वजह काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक समानता है। साथ ही सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए कार्य कर रहे प्रधानमंत्री मोदी का काशी से सांसद होना भी है। मोदी के कारण काशी विकास का मॉडल बन चुकी है। इसमें अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यों का मॉडल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मोदी और योगी के हिंदुत्व के विकास व विरासत के मॉडल से दक्षिण में भाजपा की संभावनाएं तलाशना स्वाभाविक ही है। पिछले दिनों तमिलनाडु में एक कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह ने तमिल सरकार से मेडिकल व अन्य तकनीकी विषयों की पढ़ाई तमिल में कराने का आग्रह किया था। इसे भाजपा के उत्तर व दक्षिण के बीच भावुकता के आधार पर भाषाई अस्मिता के टकराव को खत्म करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। इससे पहले शाह ने अक्तूबर में मध्य प्रदेश में मेडिकल शिक्षा की एमबीबीएस की तीन किताबों का विमोचन करते हुए मेडिकल व तकनीकी विषयों की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने की सराहना की थी। कुछ दलों ने इसे दक्षिण के राज्यों पर हिंदी थोपना बताया था। शाह का आग्रह भाषाई टकराव रोकने की ही कोशिश है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत दक्षिण से की है। वह लगभग ढाई महीने से दक्षिणी राज्यों में ही हैं। ऐसे में भाजपा के लिए दक्षिण में संभावनाएं जुटाना अनिवार्य हो जाता है। भाजपा को लगता है कि दक्षिण में न सिर्फ संभावनाओं को साकार रूप मिल सकता है बल्कि कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी की जा सकती है।
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