कल कार्तिक पूर्णिमा पर लगेगा कार्तिक मेला, विष्णु धाम पुनपुन तीर्थ का दर्शन कार्तिक पूर्णमासी मेला का आकर्षण

कल कार्तिक पूर्णिमा पर लगेगा कार्तिक मेला, विष्णु धाम पुनपुन तीर्थ का दर्शन कार्तिक पूर्णमासी मेला का आकर्षण

औरंगाबाद से दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर ।
औरंगाबाद ,(दिव्य रश्मि)सदर प्रखंड स्थित जम्होर थानांतर्गत पुनपुन बटाने के संगम के तट पर अवस्थित विष्णु धाम परिसर में 8 नवंबर को आयोजित होने वाले कार्तिक पूर्णिमा मेला सनातनी परंपरा का प्रतीक है। सामयिक साहित्य संवाद के संयोजक सुरेश विद्यार्थी ने बताया कि कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि हिंदू एंड सिख धर्मावलंबियों का अति महत्वपूर्ण दिवस है। सिख पंथ के संस्थापक नानक का जन्मदिन होने के कारण प्रकाश पर्व मनाया जाता है तो वही कार्तिक पूर्णिमा पर हिंदू धर्मावलंबी देव दीपावली के रूप में इसे मनाते हैं। संगम के तट पर अवस्थित विष्णु धाम परिसर में कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा पाठ अत्यंत फलदाई है।विष्णु धाम परिसर में भगवान विष्णु के साथ-साथ हनुमान जी का भव्य एवं दिव्य मंदिर है। भगवान सूर्य का अलौकिक मंदिर है जहां छठ के मौके पर भारी भीड़ लगती है। बगल में अवस्थित भगवान शंकर सपरिवार यहां निवास करतें हैं। योग्य आचार्यों द्वारा यहां रुद्राभिषेक करने की परंपरा वर्षों पुरानी है। शिवलिंग पर जब दुग्धाभिषेक किया जाता है तो अक्सर दूध अदृश्य हो जाता है। श्वेत बांध रामेश्वरम का पत्थर भी इस परिसर में कौतूहल का विषय है।खाकी बाबा की समाधि सन्यास परंपरा में सूक्ष्म रूप में विराजमान है नागा बाबा की समाधि भी कम प्रसिद्ध नहीं है। बद्रीनाथ मंदिर भी इस परिसर की शोभा बढ़ाते है काली माता का मंदिर शक्ति का प्रतीक है तो इसी परिसर में त्रिसंकट निवारण वृक्ष भी विराजमान है जहां पर अक्सर पूजा पाठ का विशेष अनुष्ठान किया जाता है। आदि गंगा पुनपुन माता का मंदिर भी अपने आप में एक बेजोड़ उदाहरण है। जंगलिया बाबा की समाधि भी हमें उनकी सूक्ष्म दृष्टि से हर पल निगरानी करती है। परिसर के बगल में स्थित गौड बाबा द्वारा स्थापित हनुमान जी का मंदिर भी अति प्राचीन है। एक ही परिसर में इतनी सारी देवी देवताओं का होना एक चमत्कारिक विषय का प्रतीक है। कार्तिक के पूर्णमासी पर संगम तट में स्नान एवं दान देने की परंपरा वर्षों पुरानी है दूरदराज से लोग सीमांत जिले ही नहीं राज्य के बाहर से भी लोग यहां आकर पूजा पाठ करते हैं और अभीष्ट मन कामनाओं की पूर्ति हेतु याचना करते हैं । प्रतिवर्ष पूर्णमासी मेला पर लाखों की भीड़ होती है। सारी व्यवस्थाएं भगवान भरोसे होती है।
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