तोडकर कच्चे घरों को, पक्के घर अब बन रहे,

तोडकर कच्चे घरों को, पक्के घर अब बन रहे,

लकड़ी की चौखट हटाकर, स्टील के दर लग रहे।
एक घर में था परिवार रहता, अब मकां बनने लगे,
कोठियां बनने लगी पर उसमें, बन्दे कम पड़ने लगे।

कह रहे महंगाई बहुत है, आलू टमाटर मंहगा हुआ,
मोबाइल ज्यादा बन्दे कम, मोबाइल भी मंहगा हुआ।
गाडियां बाईक स्कूटर, घर में जगह नही बाकी कहीं,
जब नये नये मॉडल आये, वाहन लेना मंहगा हुआ।

गरीब भी तो अब गरीब सा, कोई नजर आता नहीं,
न मजदूर मिलते खेत को, मजदूरी कोई जाता नहीं।
मनरेगा में काम कम, जब पैसे अधिक मिलने लगे,
अधिकारियों की मेहरबानी, काम पर भी जाता नहीं।

मुफ्त का राशन मिले, कुछ सरकारी आश्वासन मिले,
दो रुपए में गेहूं चावल, मुफ्त दारू आश्वासन मिले।
मुफ्त में शिक्षा औ' वजीफा, मुफ्त सारी चिकित्सा भी,
आरक्षण से नौकरी का, अयोग्य को आश्वासन मिले।

अ कीर्ति वर्द्धन
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