आओ मिलकर दीप जलाएं

आओ मिलकर दीप जलाएं

आओ मिलकर दीप जलाएं 
मन मंदिर के आंगन में 
आस्था प्रेम सद्भाव जगाए
खुशियां फैलाए जग में

लक्ष्मी जी की कृपा बरसती
 पल-पल आठो याम रहे
खुशहाली जग में छाए 
संपन्नता सुख धाम रहे 

धन वैभव भंडार भरे मां
घर-घर उजियारा छाये
खुशहाली भरा जीवन हो 
चेहरे पर खुशियां आये

उल्लास भरा कोना कोना हो
खिलते सुन्दर भाव रहे
अटूट रहे विश्वास प्रेम का
भरे खुशहाली से गांव रहे

सदा महकता घर आंगन हो
आलोकित जीवन सारा
अमन चैन की लहरों में 
लहराए अपनी राष्ट्र धारा

भाईचारा प्रेम की ज्योति 
घट घट में जलती जाए
दिवाली के पावन उत्सव पर 
आओ मिलकर दीप जलाएं

ज्ञान मई उज्जवल किरणों में
 नैतिकता को चमकाए
ऊंची सोच ऊंचे विचार रख
 धर्म मानवता का निभाए

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़ 
जिला झुंझुनू राजस्थान 
रचना स्वरचित व मौलिक है
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