सूने घरों की फरियाद

सूने घरों की फरियाद

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

घर सिर्फ दीवारों से सुन्दर नहीं होते। उनमें रहने वाले लोगों की चहल-पहल ही घरों को मंदिर बना देती है। बच्चों की किलकारियां घंटी की आवाज बन जाती हैं तो परिवार के सदस्य आरती और भजन की तरह माहौल को खुशगंवार बनाते हैं। इसके विपरीत सूने घर श्मशान जैसे नजर आते हैं। कश्मीर में चैधरी गुंड गांव के घर कुछ इसी तरह नजर आ रहे हैं। इस गांव की आखिरी कश्मीरी पंडित डाॅली कुमारी भी 27 अक्टूबर को घर छोड़कर चली गयी। कश्मीर घाटी में यह दहशत सोची-समझी योजना के तहत फैलायी जा रही है। वहां के दहशतगर्द छांट-छांट कर कश्मीरी पंडितों की हत्या कर रहे हैं। राज्य में संविधान के अनुच्छेद-370 के निष्प्रभावी होने के बाद उम्मीद थी कि कश्मीरी पंडित जो लगभग 32 साल पहले घर छोड़कर शरणार्थी बन गये, वह अपने घरों को लौटेंगे अथवा उनके लिए अलग से कालोनी बसायी जाएगी। भाजपा ने पीडीपी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में जब सरकार बनायी थी, तब यह आश्वासन कश्मीरी पंडितों को दिया गया था। उस समय पीडीपी बड़ी पार्टी थी और मुख्यमंत्री भी उसी पार्टी का बनाया गया था, इसलिए कश्मीरी पंडितों के हित में विशेष प्रयास नहीं किये जा सके लेकिन अब वहां काफी बदलाव हो चुका है। जम्मू-कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश है। इसके बावजूद कश्मीरी पंडित दहशत के चलते अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। गांव के सूने घरों की फरियाद कौन सुनेगा?

कश्मीर घाटी के शोपियां जिले के चैधरीगुंड गांव की आखिरी कश्मीरी पंडित डॉली कुमारी थीं। गत 27 अक्टूबर की शाम, वह भी घाटी छोड़कर चलीं गईं। कश्मीर में टार्गेट किलिंग के बाद सात परिवार गांव से चुपचाप जम्मू चले गए। गांव छोड़ने पर डॉली ने कहा, मैं और क्या कर सकती थी। वहां डर का माहौल है। डॉली ने कहा कि वह बहादुर बनने की कोशिश कर रही थीं। अन्य परिवारों के गांव छोड़ने के बाद भी मैंने रुकने का फैसला किया। यह सोचकर कि कुछ दिनों में हालात सामान्य हो जाएंगे। हालात सामान्य होने पर मैं जरूर आऊंगी। कौन अपना घर छोड़ना चाहता है। सभी को अपना घर पसंद है। डॉली ने कहा, अपना घर छोड़ते हुए मुझे बहुत दुख है।

ध्यान रहे इसी 15 अक्टूबर को चैधरीगुंड में कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट की हत्या कर दी गई थी। उससे दो महीने पहले, शोपियां के छोटीगम गांव के सेब के बाग में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई थी। डॉली ने कहा, मुझे बताओ, जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो क्या आप नहीं कापेंगे और डरेंगे। पंडितों के घर अब बंद हैं। वे अपनी सेब की उपज तक को बेचने के लिए नहीं रुके। उन्होंने गांव में सेब के हजारों बक्सों को पड़ोसियों के हवाले कर मंडी में बेचने को कहा है। चैधरीगुंड और छोटीपोरा गांवों में 11 पंडित परिवार थे। अब सभी जम्मू चले गए हैं। एक ग्रामीण गुलाम हसन ने डॉली और उसके भाई को गांव से बाहर जाने को कहा था। गुलाम ने ही डॉली के परिसर की बाड़ लगाने में मदद की थी। गुलाम ने कहा, पूरन कृष्ण इस गांव में सबसे अच्छे इंसान थे।यह बहुत दुखद है कि उनकी हत्या कर दी गई। हाल में हुई हत्याओं के बाद पंडित असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इनमें से कोई भी परिवार आतंकवाद और अशांति के चरम के दौरान भी पलायन नहीं किया था।

जिला प्रशासन ने हालांकि, इस बात से इंकार किया कि पंडित परिवार डर की वजह से गांव छोड़कर जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने कहा कि रिपोर्ट निराधार है। प्रशासन ने उचित और मजबूत सुरक्षा इंतजाम किए हैं। जिले में फसल कटाई के बाद और सर्दियों में कई लोग जम्मू चले जाते हैं। गांव के एक पूर्व सैनिक गुलाम हसन वागे ने अपने मन की बात उगल दी। उसने कहा हाल में हुई टार्गेट किलिंग के बाद पंडितों ने डर की वजह से घर छोड़ दिया है। टार्गेट किलिंग के डर से लगभग 6,000 कश्मीरी पंडित कर्मचारी अपने कार्यालय नहीं जा रहे। इन्हें केंद्र की विशेष रोजगार योजना के तहत घाटी में नौकरी मिली थी। यह सभी जम्मू में ट्रांसफर मांग रहे हैं।

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पिछले दिनों दावा किया कि सरकार केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद के ताबूत में एक साल में आखिरी कील ठोकेगी। मनोज सिन्हा ने शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कंवेंशन सेंटर में एक कार्यक्रम में कहा, जहां उन्होंने 25 जिला विकास परिषद (डीडीसी), ब्लॉक विकास परिषद (बीडीसी) भवनों का शिलान्यास किया और पूरे केंद्र शासित प्रदेश में 1,000 अमृत सरोवरों का लोकार्पण किया। उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘यह हमारा दायित्व है कि मातृभूमि की प्रत्येक इंच की रक्षा करें और यहां तक कि हम हर चीज का बलिदान करें। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग, पड़ोसी देश के इशारे पर जम्मू कश्मीर में खलल डालने की कोशिश कर रहे हैं। पड़ोसी देश जिसकी हालत खुद दयनीय है जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए कुछ अच्छा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, हमने कई बेकसूर लोगों की जान गंवाई है, अब इसे रूकना होगा। आतंकवाद और इसके परिवेश में आखिरी कील ठोकने का वक्त आ गया है लेकिन यह दहशतगर्दी क्यों है? कश्मीर में बैंक मैनेजर और एक अन्य मजदूर की टारेगट किलिंग और कश्मीरी पंडितों के पलायन के प्रयास के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में लगातार दूसरे दिन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी। कश्मीर में हालात को लेकर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को दिल्ली में बुलाया गया। गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और सीमा सुरक्षा बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल समेत अन्य एजेंसियों के प्रमुख भी शामिल हुये। दरअसल आतंकियों ने कुलगाम में एक बैंक मैंनेजर को ऑफिस में घुसकर गोली मार दी थी, जिसकी इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। इसके दो घंटे बाद ही आतंकियों ने बड़गाम जिले के चडूरा इलाके में दो प्रवासी मजदूरों को काम खत्म कर लौटते समय गोली मार दी, जिसमें एक की मौत हो गई थी, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। एक हफ्ते में आतंकी आठ टारगेट किलिंग को अंजाम दे चुके थे। आतंकियों ने एक हिंदू शिक्षिका की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आतंकवादियों ने तीन अलग-अलग जगहों पर तीन पुलिसकर्मियों और एक टेलीविजन अभिनेत्री की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इससे कुछ दिन पहले, एक हिंदू सरकारी कर्मचारी की उसके कार्यालय के अंदर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके पीछे पुलिस ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का हाथ बताया था। इस प्रकार कश्मीर में टारगेट किलिंग के बाद कश्मीरी पंडितों ने अपनी सुरक्षा को लेकर प्रदर्शन तेज कर दिया। सैकड़ों कश्मीरी पंडितों ने श्रीनगर और केंद्र शासित प्रदेश के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया। स्थानीय प्रशासन के द्वारा शिविरों में बाहर निकलने की मनाही के बीच कई कश्मीरी पंडितों के परिवार ने घाटी छोड़ना शुरू कर दिया।
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