महाराष्ट्र में सत्य और असत्य की लड़ाई

महाराष्ट्र में सत्य और असत्य की लड़ाई

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

महाराष्ट्र में शिवसेना के दो टुकड़े हो गये। एक धड़े के नेता एकनाथ शिंदे भाजपा की मदद से सरकार चला रहे हैं और कहते हैं कि वही शिवसेना के सच्चे सिपाही हैं। बाला साहेब ठाकरे के आदर्शों पर चल रहे हैं। उधर बाला साहेब के बेटे और एकनाथ शिंदे ने जिनसे सत्ता छीनी है, वे उद्धव ठाकरे अपने को शिवसेना का असली वारिस बता रहे हैं। इसी आधार पर शिवसेना की परम्परागत दशहरा रैली आयोजित करने का विवाद अदालत तक पहुंचा था। अदालत ने उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क रैली करने की अनुमति दे दी। इसके बाद भी सत्य और असत्य की लड़ाई अभी जारी है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को इस बीच जान से मारने की धमकी दी गयी। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के फर्जी हस्ताक्षर वाले सरकारी लेन-देन की भुगतान पर्ची दिखाकर पालघर में एक व्यक्ति से एक करोड़ 31 लाख की धोखाधड़ी की गयी। महाराष्ट्र में राजनीतिक अस्थिरता को लेकर कानाफूसी होना स्वाभाविक है। भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस कहते हैं कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा ज्यादा जरूरी है लेकिन इसका जवाब कौन देगा? सरकार भी तो आपकी है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को आत्मघाती धमाका करके जान से मारने की धमकी दी गई थी। इस मामले में अब बड़ा खुलासा हुआ है। होटल मालिक से नाराज, नशे में धुत एक व्यक्ति ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे की जान को खतरा बताकर फोन किया था। पुलिस ने अब व्यक्ति को हिरासत में ले लिया है। जांच से पता चला कि वह व्यक्ति कथित रूप से नशे में था। उसने होटल के मालिक को पानी की बोतल के लिए अधिक पैसे लेने के कारण ‘सबक सिखाने’ के लिए पुलिस कंट्रोल रूम को फोन लगा दिया। मुख्यमंत्री की सुरक्षा ज्यादा जरूरी है और उस तरफ हमारा ध्यान ज्यादा है।

इस बीच मुख्यमंत्री को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई है। सीएम को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है। पुलिस के मुताबिक ठाणे में शिंदे के निजी आवास और मुंबई में आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। शिंदे पांच अक्टूबर को मुंबई के एमएमआरडीए मैदान में पहली बार दशहरा रैली को संबोधित करने वाले हैं।

एक अन्य वारदात भी चैंकाती है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के फर्जी हस्ताक्षर वाले सरकारी लेनदेन की भुगतान पर्ची दिखाकर पालघर में एक व्यक्ति से 1.31 करोड़ की धोखाधड़ी की गई। यह मामला जैसे ही पुलिस के संज्ञान में आया तो वह फौरन एक्टिव हो गई। इस ठगी के मामले में दो लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। वालीव थाने के एक अधिकारी ने बताया कि स्टेशनरी की दुकान के मालिक 50 वर्षीय जिग्नेश गोपानी से धोखाधड़ी करने के मामले में वसई तालुका के नालासोपारा निवासी जतिन पवार और शुभम वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

‘आरोपियों ने दावा किया कि वे राज्य सरकार की ई- पोर्टल फ्रेंचाइजी खोलना चाहते हैं और उन्होंने गोपानी को हिस्सेदारी की पेशकश की। इसके साथ शुल्क के रूप में एक लाख रुपये मांगे। दोनों ने इसी तरह कई बार रुपये लिए और कहा कि काम शुरू होने वाला है। दोनों ने गोपानी से कुल 1,31,75,104 रुपये लिये।’ पुलिस ने बताया कि 25 अगस्त को आरोपी ने गोपानी को ई पोर्टल फ्रेंचाइजी के लिए लाइसेंस परमिट और अन्य शुल्क की भुगतान पर्ची दी थी। इस पर्ची पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम और अंग्रेजी में हस्ताक्षर थे। वालीव थाने के अधिकारी ने बताया कि गोपानी को पर्ची पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर देख संदेह होने के बाद उन्होंने पुलिस से संपर्क किया था।

बहरहाल, उद्धव और शिंदे गुट एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे। शिवसेना के दोनों गुटों को दशहरे के रूप में नया मौका मिल गया। एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट हाल ही में शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को लेकर आमने-सामने आ गए थे। इस मामले में हाईकोर्ट ने ठाकरे गुट को शिवाजी पार्क में रैली करने की इजाजत दी थी। ठाकरे की इस जीत के बाद शिंदे गुट लगातार उस पर हमलावर हो रहा है। शिंदे गुट ने एक के बाद एक कई वीडियो जारी किए और ठाकरे गुट को निशाना बनाते हुए खुद को सही साबित करने की कोशिश की।

आने वाले महीनों में ब्रह्नमुंबई नगर निगम के चुनाव होने हैं। इसलिए एकनाथ शिंदे की सरकार ने उद्धव ठाकरे गुट पर हमला और तेज कर दिया है। शिंदे गुट नवरात्र के जरिये लोगों तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है। इस गुट ने एक बार फिर कई वीडियो जारी कर ठाकरे गुट पर हमला बोला है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि शिंदे गुट ही बाल ठाकरे के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है। शिंदे गुट ने नए वीडियो में उद्धव ठाकरे से अलग होने की वजह बताई है। इसमें भावनात्मक अपील की गई है और बताया गया है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में कैसे सालों तक नेताओं को खामोश रहना पड़ा, कितना संघर्ष करना पड़ा। इस वीडियो में कहा गया- ‘हमने परेशानी झेली और फिर भी सालों तक खामोश रहे, क्योंकि हमने वादा किया था कि हम उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे का ख्याल रखेंगे। हम आपकी विचारधारा को जिंदा रखेंगे। हम उन्हीं विचारों पर चलेंगे जो आप या आनंद दिघे कहेंगे।’ बॉम्बे हाई कोर्ट ने जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की इजाजत दे दी है तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के लिए झटका माना गया। अदालत ने शिंदे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया।। उद्धव ठाकरे गुट को दो से छह अक्टूबर के लिए हाई कोर्ट की ओर से यह इजाजत दी गई। शिंदे गुट के विधायक सदा सरवणकर की तरफ से अदालत में याचिका दायर की गयी थी, जिसमें शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के आयोजन की अनुमति मांगी गई थी। अदालत ने उद्धव गुट के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि बीएमसी की दलील में कोई तथ्य नहीं है। शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के लिए एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट आमने-सामने थे। दोनों की अर्जी को बीएमसी ने लॉ एंड आर्डर का हवाला देते हुए ठुकरा दिया था। बाद में इस मुद्दे पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें उद्धव, शिंदे और बीएमसी के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें दीं। एक तरफ जहां ठाकरे गुट ने पचास साल पुरानी शिवसेना की परंपरा का हवाला देते हुए मंजूरी की मांग की थी वहीं दूसरी तरफ बीएमसी ने बताया कि कोई व्यक्ति या संगठन मैदान में रैली के लिए अपना अधिकार नहीं जता सकता। उन्हें हर साल आवेदन करना होगा। साथ ही लॉ एंड आर्डर की समस्या को देखते हुए आवेदन को खारिज किया जा सकता है। बीएमसी ने इसी आधार पर किसी भी गुट को इजाजत नहीं दी थी।
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