नवरात्रि में ‘पी.एफ.आई’ सहित नौ राक्षसों को समाप्त किया, अब ‘एस.डी.पी.आई.’पर प्रतिबंध लगाकर ‘दशहरा’ मनाएं ! - हिन्दू जनजागृति समिति की केंद्र सरकार से मांग

‘पी.एफ.आई.’पर प्रतिबंध लगाने का केंद्र सरकार का निर्णय स्वागत योग्य !

नवरात्रि में ‘पी.एफ.आई’ सहित नौ राक्षसों को समाप्त किया, अब ‘एस.डी.पी.आई.’पर प्रतिबंध लगाकर ‘दशहरा’ मनाएं ! - हिन्दू जनजागृति समिति की केंद्र सरकार से मांग


केंद्र सरकार ने ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ अर्थात ‘पी.एफ.आई.’ पर गैरकानूनी कृत्य प्रतिबंधक कानून द्वारा (UAPA) प्रतिबंध लगाया है, इस निर्णय का हिन्दू जनजागृति समिति स्वागत करती है । ‘पी.एफ.आई.’ का अनेक राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी कार्यवाहियों में तथा हिन्दू नेताओं की हत्याओं में सहभाग दिखाई दिया है । हिन्दू जनजागृति समिति गत कुछ वर्षाें से आंदोलन, निवेदन, सोशल मीडिया कैम्पेन आदि के माध्यम से ‘पी.एफ.आई.’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही थी । देश में नवरात्रि का उत्सव चल रहा है और उसी समय ‘पी.एफ.आई.’ सहित नौ राक्षसी जिहादी संगठनों को समाप्त किया गया है । अब ‘पी.एफ.आई.’ के राजनीतिक संगठन ‘एस.डी.पी.आई.’ पर प्रतिबंध लगाकर ‘दशहरा’ मनाएं, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने की है ।

कुछ वर्षाें पूर्व केंद्र सरकार ने डॉ. जाकिर नाईक के ‘इस्लामिक रिसर्च फाऊंडेशन’ पर प्रतिबंध लगाते हुए उसे फरार आतंकवादी घोषित किया था; परंतु इसी आतंकवादी के ट्वीटर और फेसबुक पर 50 से अधिक खाते चल ही रहे हैं । इसी प्रकार अब ‘पी.एफ.आई.’ और संलग्न संस्थाओं पर यद्यपि प्रतिबंध लगाया गया है, तथापि उनके भी ट्वीटर और फेसबुक खाते अभी भी चल रहे हैं । इस प्रतिबंध के कारण आतंकवादी कार्यवाहियां निश्चित ही रुकेंगी; परंतु आतंकवादी विचारधारा फैलाने का कार्य चलता ही रहेगा । यदि इनका सोशल मीडिया पर आतंकवाद का प्रसार होता रहा, तो देश में अराजक मचाने के लिए उनका उपयोग होगा और प्रतिबंध लगाने का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा । इसलिए ‘पी.एफ.आई.’ और उससे संलग्न सर्व संगठनों के ट्वीटर और फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया खाते भी तत्काल बंद करने चाहिए, ऐसी हमारी आग्रही मांग है ।

पुणें में कुछ समय पूर्व ही ‘पी.एफ.आई.’ के कार्यकर्ताओं ने आंदोलन किया था एवं उसमें ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए थे । ऐसी घटनाएं भी अब बडी मात्रा में होंगी । अतः ऐसे नारे लगानेवालों पर भी देशद्रोह के अभियोग प्रविष्ट किए जाएं, ऐसी मांग भी समिति ने की है ।
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