विवेकानंद ने देश की अध्यात्मिक शक्ति को विश्व के समक्ष स्थापित किया: रमानुज

विवेकानंद ने देश की अध्यात्मिक शक्ति को विश्व के समक्ष स्थापित किया: रमानुज

औरंगाबाद से दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर । 
औरंगाबाद (दिव्य रश्मि)जन विकास केन्द्र, जन विकास परिषद एवं साहित्य संवाद के तत्वावधान में आयोजित हिन्दी सप्ताह के चतुर्थ दिवस स्थानीय अनुग्रह नारायण मध्य विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम शिकागो उद्बोधन के आलोक में भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पुनर्व्याख्या विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई,जिसकी अध्यक्षता संस्था के केन्द्रीय अध्यक्ष रामजी बाबु और संचालन उज्ज्वल रंजन ने किया। सबसे पहले आगत अतिथियो द्वारा दीप प्रोज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन किया गया। तत्पश्चात विवेकानंद के छायाचित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित की गई।
अपने वक्तव्य के दौरान वक्ताओं ने विवेकानंद से जुड़ी हुई अनछुए पहलुओं को रखा।रामकिशोर बाबू ने अपने पद्य के माध्यम से अपना विचार रखा ।मुख्य वक्ता रामानुज पाण्डेय ने कहा कि विवेकानंद ने देश की अध्यात्मिक शक्ति को विश्व के समक्ष प्रतिस्थापित किया।पाणडेय ने विवेकानंद के बीच सास्कृतिक खालीपन पर प्रकाश डालते हुए पराधीन संस्कृति की समस्या को किस तरह का समाधान विवेकानंद ने किया इस पर विस्तार पूर्वक चर्चा की ।अभियंता सुबोध सिंह ने कहा कि विवेकानंद की बताये हुए पदचिन्हों पर चलकर समाज में समरसता लाने की जरूरत है। कार्यक्रम के संयोजक विद्यार्थी जी ने ने धार्मिक पुनर्जागरण से विवेकानंद को जोडते हुए मानव मात्र से प्रेम करने की बात कही। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय सिह ने अपने वक्तव्य के दौरान विवेकानंद के विचारों को पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत बताई। अपने उद्बोधन में रामजी बाबू ने नरेन्द्र नाथ को विवेकानंद बनाने वाले गुरु की महिमा पर चर्चा की।प्रो दिनेश प्रसाद, लालदेव बाबू,अधिवक्ता कमलेश कुमार सिंह, सत्यचंडी महोत्सव के अध्यक्ष राजेन्द्र बाबू उपाध्यक्ष अरुण जी कवि अरविंद अकेला, श्री राम राय, प्रधानाध्यापक श्रीधर, अशोक सिंह व मनोज कुमार सिंह ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर उदय तिवारी, डॉ महेंद्र,जनेश्वर यादव, बीगन बैठा ,ललन सिंह, बीरेन्द्र गुप्ता , रामकुमार सिंह, सुधीर कुमार आदि उपस्थित थे।
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