एससीओ को नयी दिशा देगा भारत

एससीओ को नयी दिशा देगा भारत

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों ने इस बार भारत को अध्यक्ष बनाया है। सम्मेलन के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन से युद्ध समाप्त करने की सलाह देकर भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इरादे जाहिर कर दिये। इस संगठन की स्थापना चीन के शंघाई में हुई थी, इसीलिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के अध्यक्ष बनने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सबसे पहले बधाई दी। यह संगठन आतंकवाद विरोधी रणनीति बनाने के लिए है। अफसोस की बात यही कि चीन खुद ही अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को प्रश्रय देता रहा है। पाकिस्तान स्थित अजहर मसूद जैसे खूंखार आतंकी को वैश्विक आतंकी घोषित करने पर चीन ने विशेषाधिकार तक का इस्तेमाल किया था। अब भारत के अध्यक्ष बनने पर एससीओ को नई दिशा देने का प्रयास उसी तरह किया जाएगा जैसे नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में भारत को एक नई दिशा दी है। यह दिशा है स्वाभिमान और स्वावलंबन की। दुनिया की 40 फीसद जनता का प्रतिनिधित्व करने वाला यह संगठन विश्व के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करेगा। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने उजबेकिस्तान के समरकंद में सम्पन्न हुई 22वीं बैठक में कहा कि हम भारत को मैन्यूफैक्चरिंग का हब बनाना चाहते हैं। उन्होंने एससीओ के राष्ट्रों से कहा कि हम एक-दूसरे के देशों से गुजरने की अनुमति के साथ पारंपरिक उपचार को बढ़ावा दें। मोदी ने सदस्य देशों से कहा कि भारत स्टार्टअप और इनोवेशन के क्षेत्र में अपना अनुभव साझा कर सकता है। सम्मेलन में मोदी ने चीन से नाराजगी भी जता दी।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की 22वीं बैठक उजबेकिस्तान के समरकंद में हुई। दो दिन के इस सम्मेलन की शुरुआत 16 सितम्बर से हुई। साल 2019 में आखिरी बार एससीओ के नेताओं की आमने-सामने बैठक बिश्केक में हुई थी। इसके बाद कोविड के चलते रूस और ताजिकिस्तान की अध्यक्षता में यह बैठक दो सालों तक वर्चुअल प्लैटफॉर्म पर हुई। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की स्थापना चीन के शंघाई में 2001 में हुई थी। यह आठ देशों का संगठन है। एससीओ के सदस्य देशों में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किरगिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल है। इस सम्मेलन में चार पर्यवेक्षक देश शामिल हुए जो शंघाई सहयोग संगठन की पूर्ण सदस्यता चाहते हैं। इनमें- अफगानिस्तान, बेलारूस, इरान और मंगोलिया शामिल थे। इस बैठक के छह डॉयलॉग पार्टनर देश हैं । ये हैं- आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की। एससीओ संगठन की स्थापना रूस, चीन, किरगिज रिपब्लिक, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने मिलकर की थी। भारत और पाकिस्तान को इस संगठन की पूर्ण सदस्यता 2017 में मिली थी। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली बैठकों में भारत का वर्चुअल माध्यम पर प्रतिनिधित्व किया। एससीओ संगठन के देश दुनिया की 40 प्रतिशत जनसंख्या और 30 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं। एससीओ का रीजनल एंटी टेररिस्ट स्ट्रक्चर क्षेत्र में आतंकवाद, सुरक्षा चिंताओं के निवारण पर केंद्रित है। भारत ने 28 अक्टूबर 2021 को एक साल के लिए रेट्स एण्ड एससीओ की अध्यक्षता ली थी।

उजबेकिस्तान के समरकंद में सम्पन्न हुए शंघाई सहयोग संगठन के वार्षिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा हम भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 15 सितम्बर को ही उज्बेकिस्तान पहुंच गए थे। शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कोरोना और यूक्रेन संकट का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, महामारी और यूक्रेन संकट ने ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित किया है। इसके कारण दुनिया में खाद्य और ऊर्जा संकट आया है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि यह युद्ध का समय नहीं हैं पुतिन ने जवाब दिया कि इस पर विचार करेंगे। प्रधानमंत्री ने बेहतर संपर्क की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे के देशों से गुजरने की अनुमति देनी चाहिए। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की कोशिश कर रहा है। एससीओ में हिंदी में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत स्टार्टअप और इनोवेशन के क्षेत्र में अपना अनुभव साझा कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ की बड़ी बैठक में मिलेट्स को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि हम ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित बनाना चाहते हैं, जिसके लिए मिलेट्स एक अच्छा और सस्ता विकल्प हो सकते हैं। हमें मिलेट फूड फेस्टिवल भी आयोजित करना चाहिए। मेडिकल सेक्टर में भारत के कार्यों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम पारंपरिक उपचार को बढ़ावा देना चाहते हैं। हम इस क्षेत्र की अगुवाई करेंगे।

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता ग्रहण करने पर बधाई दी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस अवसर हाथ मिलाया। शी चिनफिंग ने कहा कि चीन अगले साल सम्मेलन आयोजित करने में भारत की मदद करेगा। शी चिनफिंग के बयान से ऐसा लगता है कि अगला एससीओ सम्मेलन भारत में होगा। भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा पर सैन्य तनाव होने के बाद दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहली बार आमने-सामने मिले हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग औपचारिक रात्रिभोज सहित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन पूर्व समूह के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए थे। पीएम मोदी समरकंद पहुंचने वाले नेताओं में सबसे आखिरी थे। इस वजह से उन्होंने शिखर सम्मेलन से पहले के कार्यक्रमों में किसी तरह की भागीदारी से खुद को अलग ही रखा। रात्रिभोज के बाद जारी अनौपचारिक नेताओं की तस्वीर में दोनों विश्व नेताओं में से कोई भी उसमें नहीं देखे गए। समरकंद में होने के बावजूद शी चिनफिंग को मेजबानों द्वारा साझा किए गए किसी भी वीडियो में नहीं देखा गया। शिखर सम्मेलन से पहले कई राष्ट्राध्यक्ष शहर के दौरे पर गए थे। द इटरनल सिटी न्यू टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स का हिस्सा है- जहां एससीओ शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ है। वीडियो में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को मेजबान उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकेत मिर्जियोयेव के साथ ठीक सामने चलते देखा गया। वैश्विक नेताओं ने आयोजन स्थल परिसर में एक वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी भाग लिया। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शाम को सामूहिक कार्यक्रम से पहले ही दिन में उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति के साथ अलग से पेड़ लगाया। लेकिन बाद में सभी नेता मोदी के आस-पास दिखाई दिये।
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