2024 के लिए शाह-नड्डा का मंथन

2024 के लिए शाह-नड्डा का मंथन

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2024 मंे होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी गंभीरता से कर रही है। इसी पर मंथन करने के लिए 6 सितंबर को पार्टी के नम्बर दो के नेता और राष्ट्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मंथन किया है। अमित शाह ने पूर्वोत्तर राज्यों की नब्ज भी इस बीच टटोली है। बिहार मंे डैमेज कंट्रोल को महाराष्ट्र से पूरा कर लिया जाएगा। इसीलिए पार्टी ने उद्धव ठाकरे का खुलकर विरोध भी शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य मंे प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री संगठन पश्चिम उत्तर प्रदेश से बनाकर राज्य की सभी 80 सीटें जीतने की रणनीति बनायी जा रही है। यहां पर भाजपा किसी भी प्रकार की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है और पूरा फोकस पश्चिम उत्तर प्रदेश पर है। पूर्वी उत्तर प्रदेश मंे मुख्यमंत्री योगी और प्रधानमंत्री मोदी पहले से ही मजबूत किलेबंदी कर चुके हैं। योगी ने आजमगढ़ का लोकसभा उपचुनाव जीतकर यह बात साबित भी कर दी है। हैदराबाद मंे पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करके भाजपा ने संदेश दिया है कि अब दक्षिण भारत मंे उसके विजय यज्ञ का अश्व पहुंचने वाला है।

भाजपा ने 6 सितम्बर को एक अहम बैठक बुलाई। इस बैठक में सभी केंद्रीय मंत्री मौजूद थे। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंथन किया। ये बैठक राजधानी दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में हुई। सभी केंद्रीय मंत्रियों को 144 ऐसी लोक सभा सीटों की जिम्मेदारी दी गई है जिनमें बीजेपी 2019 के लोक सभा चुनाव में दूसरे या तीसरे नंबर पर आई। इन सभी मंत्रियों से इन लोक सभा सीटों में जाने और वहां संगठन को मजबूत करने का दायित्व दिया गया था। इसकी समीक्षा की गयी और मंत्रियों से इन सभी 144 लोक सभा सीटों के बारे में फीडबैक लिया गया। इस बैठक में मंत्रियों से मिले फीडबैक के आधार पर 2024 लोक सभा चुनाव के लिए इन सभी सीटों पर चुनाव की तैयारी होगी। साथ ही बूथ मजबूत करने से लेकर उम्मीदवार चयन तक में मंत्रियों से मिले फीडबैक की अहम भूमिका रहेगी।

इससे पूर्व मुंबई में आयोजित बीजेपी नेताओं की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री और पार्टी के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह ने कहा था कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ धोखाधड़ी की है, ऐसे में उन्हें सबक सिखाने की जरूरत है। सूत्रों की मानें तो पार्टी नेताओं की बैठक में शाह ने ये कहा, हम राजनीति में सब कुछ बर्दाश्त कर सकते हैं पर धोखाधड़ी नहीं। शाह ने पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि अपनी पार्टी में हुई टूट और उसके बाद हुई अन्य घटनाओं के जिम्मेदार वे खुद हैं। उनकी लालच के कारण पार्टी उनके खिलाफ हो गई। ये कहकर उन्होंने उन सभी आरोपों पर विराम लगाने की कोशिश की जो ये कहते हैं कि एकनाथ शिंदे की बगावत और महाराष्ट्र में सत्ता में बीजेपी का हाथ है।

शाह ने कहा, उद्धव ठाकरे ने न केवल बीजेपी को धोखा दिया, बल्कि शिवसेना की विचारधारा को भी धोखा दिया है और महाराष्ट्र के लोगों के जनादेश का भी अपमान किया है। सूत्रों के अनुसार शाह ने कहा कि उनकी पार्टी आज उनकी सत्ता के लालच के कारण टूट गई है, न कि बीजेपी के कारण। शाह ने कहा, आज मैं फिर से कहना चाहता हूं कि हमने कभी उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का वादा नहीं किया था। हम ऐसे लोग हैं जो खुलेआम राजनीति करते हैं, बंद कमरों में नहीं। शाह ने कहा, जो राजनीति में धोखाधड़ी करते हैं, उन्हें सजा तो मिलनी ही चाहिए। उन्होंने घोषणा की कि ये सजा उन्हें मुंबई में आगामी निकाय चुनावों के लिए मिशन 150 के माध्यम से दिया जा सकता है।

इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से तैयारियों में जुट गई है। लोक सभा चुनावों में भाजपा हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए, आक्रामक रूप में दिखाई दे रही है। इसी क्रम में पार्टी देश के दक्षिणी राज्यों में अपनी पहुंच बना रही है। पांच राज्यों-आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में उभरी भाजपा है। कर्नाटक में भाजपा एक प्रमुख खिलाड़ी तो, तेलंगाना में एक गंभीर खिलाड़ी के रूप में तेजी से उभर रही है। वहीं भाजपा तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में एक सीमांत खिलाड़ी है, जबकि केरल में लगभग न के बराबर है।लंबे समय तक उत्तर और पश्चिमी भारतीय राजनीतिक दल के रूप में देखे जाने के बाद, भाजपा ने देश के पूर्वी हिस्सों में सफलतापूर्वक अपना विस्तार किया है। कर्नाटक को छोड़कर, दक्षिण भाजपा की लहर से काफी हद तक अछूता है, जहां भाजपा अब अपनी जगह बनाने में लगी हुई है। हाल के घटनाक्रम से संकेत मिलता है कि पार्टी 2024 में अगले आम चुनावों के लिए समय पर इस क्षेत्र का दोहन करने के लिए आगे बढ़ रही है।

इससे पहले जून में भाजपा ने हैदराबाद में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की थी, जहां प्रधानमंत्री ने एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था। 18 वर्षों के बाद, इस आयोजन ने तेलंगाना में बहुत अधिक आकर्षण पैदा किया, पार्टी का यह कदम बहुत हद तक उसके लिए सकारात्मक साबित हुआ। जहां पार्टी खुद को केसीआर और उनके परिवार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ टीआरएस के प्रमुख विपक्ष के रूप में पेश कर रही है। वहां हैदराबाद बैठक में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने दक्षिणी रणनीति पर भी विस्तार से चर्चा की। केंद्र सरकार की राज्यसभा उम्मीदवारों की सूची में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों के एक-एक व्यक्ति शामिल थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल के महीनों में कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश का भी दौरा किया। इससे यह साफ पता चलता है कि पार्टी की हर तैयारियों में पीएम मोदी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। यही नहीं इसके अलावा, इस क्षेत्र में वरिष्ठ नेताओं के लगातार दौरे हो रहे हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा के उत्तर और पश्चिम भारत के अपने पारंपरिक गढ़ों में खुद को स्थापित करने के साथ, उसे नए क्षेत्रों की तलाश करनी होगी। उन क्षेत्रों में संभावित सत्ता विरोधी लहरों की भरपाई के लिए वोट हासिल करना होगा। दक्षिण में, 131 लोकसभा सीटों (पुडुचेरी और लक्षद्वीप सहित) के साथ एकमात्र स्थान है, जहां भाजपा नई सीटों की तलाश कर सकती है।

लोकसभा चुनाव में अभी दो साल का वक्त है। विपक्षी दल अभी अलग-अलग मुद्दों पर बंटे हुए हैं। इधर, बीजेपी ने 2024 के लिए प्लान बनाना शुरू कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने तो अगले लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पूरा बीजेपी का कुनबा अगले आम चुनाव के लिए मिशन मोड में आ चुका है। पार्टी के दिग्गज नेताओं का बड़े राज्यों का दौरा शुरू हो चुका है। पार्टी के कार्यकर्ताओं को लक्ष्य भी दिया जा रहा है। यानी जीत कैसे मिले, जीत के लिए प्रयास कितना हो, इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को टारगेट भी बता दिया है। दरअसल, बीजेपी ब्रैंड मोदी को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है। विपक्षी दल जहां आपसी मतभेद को ही पाटने में लगे हैं वहीं, बीजेपी अपने सहयोगी दलों को साधते हुए अपने सबसे बड़े ब्रैंड के साथ मैदान में उतरने की रणनीति बना चुकी है।भारत की राजनीति में पीएम मोदी की टक्कर का नेता विपक्ष में नहीं है। दूसरी बात, पीएम मोदी की लोकप्रियता अभी भी पूरे देश में सबपर भारी हैं। तीसरी बात, बीजेपी में अभी मोदी के कद का नेता फिलहाल नहीं है।
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