इंसानियत

इंसानियत 

इंसान की पहचान, 
मानव रे जरा जान। 
औरों के दुख दर्द की, 
परवाह कीजिए। 

मानव धर्म जान लो, 
कर्म को पहचान लो। 
इंसानियत ही धर्म, 
शुभ कर्म कीजिए। 

करुणा प्रेम बरसे, 
हृदय सारे हरसे। 
होठों पे हंसी सबको, 
मुस्काने भी दीजिए। 

दुख दर्द बांटे हम,
मोती बांटे प्रेम भरे। 
काम आए आपस में, 
सहायता कीजिए।

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ