सप्लीमेंट्री' मिली 'जय' यहां 'टाप'को

सप्लीमेंट्री' मिली 'जय' यहां 'टाप'को

उम्र भर वो  छिपाते रहे  पाप को
दोष देते   रहे हैं  हमें  आप को 

हाल उनका बुरे से बुरा जब हुआ
जान पाए तब बुजुर्गों के श्राप को 

चार बच्चे भी मिलकर नहीं दे सके
दाल-रोटी  यहां बूढे मां-बाप को 

हाय कैसा समय आ गया अब यहाॅ
दे रहे  हैं   बढ़ावा  वे  संताप को 

एक भी  पेड़-पौधा  लगाया नहीं 
झेलते हैं  तभी  सूर्य के  ताप  को 

धर्म की आड़ में  कितने पाखण्ड हैं
आज-कल  दे रहे  मात हैं  पाप को 

'टाप' होते  परीक्षा में  करके नकल
'सप्लीमेंट्री' मिली 'जय' यहाॅ 'टाप' को
                     *
~जयराम जय
'पर्णिका'बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ०प्र०)
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