वीर शिरोमणि पृथ्वीराज की जयंती समारोह संपन्नपृथ्वीराज चौहान की क्षमाशीलता वाली गलती नहीं दुहराने की नसीहत

वीर शिरोमणि पृथ्वीराज की जयंती समारोह संपन्न
पृथ्वीराज चौहान की क्षमाशीलता वाली गलती नहीं दुहराने की नसीहत 
पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा लगाने का लिया गया संकल्प
जन विकास परिषद एवं जनेश्वर विकास केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में जिला मुख्यालय स्थित संस्कृत महाविद्यालय परिसर में राष्ट्र नायक पृथ्वीराज चौहान की जयंती समारोह धूमधाम से संपन्न हुआ। 
    इस आयोजन में जिले के समाजसेवी,बुद्धिजीवी,पूर्व सैनिक,विद्यार्थी,शिक्षक एवं अधिवक्तागण उपस्थित हुये। 
    सर्वप्रथम दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन वरिष्ठ समाजसेवी एवं वरीय अधिवक्ता कौशल किशोर सिंह,वरीय समाजसेवी व रेड क्रॉस के राज्य स्तरीय अधिकारी श्री अजीत कुमार सिंह ,साहित्य कार डॉक्टर सुरेंद्र प्रसाद मिश्र,जन विकास परिषद के अध्यक्ष शिव नारायण सिंह ,मुखिया मनोज कुमार सिंह डा. शिवपुजन सिंह एवं कार्यक्रम के सूत्रधार, वरीय अधिवक्ता एवं कई कार्यक्रमों की केंद्रीय भूमिका में रहने वाले महोत्सव पुरुष सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने संयुक्त रूप से किया ‌
      सभी आगत अतिथियों ने पृथ्वीराज चौहान के तैलचित्र पर बारी-बारी से पुष्पांजलि अर्पित की‌। कार्यक्रम की अध्यक्षता जन विकास परिषद के सम्मानित अध्यक्ष व  ज्योतिर्विद श्री शिव नारायण सिंह ने किया जबकि मंच संचालन जयंती समारोह के सह संयोजक श्री अरुण कुमार सिंह ने किया ।अपने प्रारंभिक उद्बोधन में राम किशोर सिंह ने गद्यात्मक लहजे में पृथ्वीराज को श्रद्धांजलि दी। मुखिया मनोज कुमार सिंह ने पृथ्वीराज चौहान के पदचिन्ह व  राष्ट्रप्रेम पर चलने की नसीहत दी ।अपने संबोधन में साहित्यकार डॉक्टर सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि इतिहास साक्षी है,जब परिस्थिति वश कुछ गलतियां होती हैं तो समय व इतिहास उसे माफ नहीं करता। पृथ्वीराज की क्षमाशीलता ने दुश्मन के प्रति उदारता दिखाई,जिसका परिणाम पृथ्वीराज और देश को अपूरणीय क्षति हुई ।
   अधिवक्ता कौशल किशोर सिंह नेअपने ओजपूर्ण लहजे में  लोगों का आह्वान किया कि हमें देश की रक्षा के लिए सर्वविधि सजग रहना चाहिए नहीं तो इतिहास कभी भी अपने आप को दुहरा सकता है। प्रखर वक्ता अजीत कुमार सिंह ने शायराना अंदाज में संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा की पृथ्वीराज चौहान जयंती समारोह की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है । चूकि देश आज अनेकानेक  चुनौतियों से  घिरा हुआ है ।हमें अपने वीर पूर्वजों से भाव सूत्र ग्रहण कर अपने देश की सुरक्षा में मनोयोग से लग जाना चाहिए। प्रो. दिनेश प्रसाद ,अधिवक्ता कमलेश सिंह ,अधिवक्ता संजय सिंह,पुनपुन महोत्सव के सचिव राजेश अग्रवाल,हखजी मुश्ताक,परिषद के उपाध्यक्ष रामचंद्र सिंह  अंबे महोत्सव के संस्थापक प्रदीप सिंह  सचमन अग्रवाल व  समाजसेवी सुबोध कुमार सिंह  ने बताया कि पृथ्वीराज से सीख लेने की जरूरत है तभी आजादी अक्षुण्ण रह सकती है।अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री शिव नारायण सिंह ने आगत अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और आज के दिन की प्रासंगिकता को पटल पर रखा। कार्यक्रम के सूत्रधार सिद्धेश्वर विद्यार्थी  ने पृथ्वीराज को एक ऐसा महामानव बताया जिन्होंने मरते- मरते दुश्मनों की अधीनता स्वीकार नहीं की,स्वयं अपने दरबारी कवि चंदबरदाई के साथ अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली ।
इस अवसर पर पूर्व सैनिकों एंंव शहीदों की विधवाओं को अंग वस्त्र, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया एवं माध्यमिक परीक्षा 22 में बिहार में प्रथम और चतुर्थ स्थान लाने वाली छात्राओ को भी प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह एवं अंग वस्त्र देकर अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया .।कार्यक्रम के संयोजक सत्यचंडी महोत्सव के अध्यक्ष श्री राजेंद्र सिंह, अरुण सिंह ,संजय सिंह जन विकास परिषद जनेश्वर विकास केंद्र के केंद्रीय अध्यक्ष श्री राम जी सिंह तथा शिक्षक एवं साहित्य सेवी श्री सुरेश विद्यार्थी, कविता विद्यार्थी ने प्रस्ताव दिया कि वीर शिरोमणि पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा शहर मे लगाये जाने का प्रस्ताव दिया जिसे सभी ने समर्थन दिया व कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया‌। 
   इस अवसर पर जिन लोगों ने अपनी अभिव्यक्ति दे दी उनमें प्रोफेसर दिनेश प्रसाद, श्री राम किशोर सिंह, प्राचार्य श्री श्रीधर सिंह ,डॉ टी के सिंह ,श्रीमती अग्रवाल,श्रीमती कविता विद्यार्थी,हाजी मुश्ताक,
शिक्षक उज्जवल रंजन,चंदन कुमार ,समाजसेवी योगेश सिंह, शिव कुमार सिंह, संजय सिंह , उमगा महोत्सव से ललन सिंह , संजय सिंह , विजय सिंह , अभय सिंह , पुनपुन महोत्सव से राजेश अग्रवाल रामजी तिवारी तथा जिले के कई भागों से आये प्रबुद्ध जनों ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित की और अंत में  समिति के मुख्य सदस्य समाजसेवी श्री लाल देव प्रसाद ने आगत अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया
       अरविन्द अकेला

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