‘परीक्षा’ में घिरे गहलोत

‘परीक्षा’ में घिरे गहलोत

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
राजस्थान में इण्टर मीडिएट की बोर्ड परीक्षा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को परेशानी में डाल दिया है। परीक्षा में राजनीति विज्ञान के पेपर में कांग्रेस से जुड़े 8 सवाल पूछे गये। मसलन कांग्रेस कि सामाजिक एवं विचारधारात्मक गठबंधन के रूप में संक्षिप्त विवेचना कीजिए? 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुल कितनी सीटें जीती थीं? इस तरह के सवालों को देखकर प्रतिपक्षी दल भाजपा ने तंज भी किया है और कहा कि यह बोर्ड परीक्षा का राजनीतिकरण है। गहलोत के शिक्षामंत्री बीडी कल्ला ने सफाई दी लेकिन वो जनता के भी गले नहीं उतर रही है। ऐसे माहौल में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दिल्ली में श्रीमती सोनिया गांधी से मुलाकात की है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि राजस्थान की सरकार में बड़ा फेरबदल हो सकता है। भाजपा ने सरकार को अलवर में एक मंदिर गिराने को लेकर भी घेर रखा है।
यह मंदिर 250 साल पुराना बताया जाता है जिसे 17 अप्रैल को अतिक्रमण बताकर बुलडोजर से तोड़ दिया गया।

विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस में बड़े बदलाव हो सकते हैं। गत 21 अप्रैल को सचिन पायलट और सोनिया गांधी की मीटिंग हुई थी, जिसमें संकेत मिले हैं कि पार्टी में प्रदेश स्तर पर बदलाव किए जा सकते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने कहा, केंद्र की ओर से जिस तरह की दमनकारी नीतियां अपनाई जा रही हैं, उसे देखते हुए राजस्थान में क्या कुछ राजनीतिक रणनीति अपनाई जाए, उसको लेकर मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना फीडबैक दिया। सचिन पायलट ने पार्टी में अपनी भूमिका को लेकर कहा, पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी उसको निभाने के लिए मैं तैयार हूं। पहले भी पार्टी की ओर से मुझे जो जिम्मेदारी दी गई थी, उसे निभाया। उन्होंने कहा कि पिछले 30 साल से राजस्थान में जो परंपरा चल रही है, उसको हम तोड़ेंगे। संगठित रूप से काम करें, तो कांग्रेस पार्टी राजस्थान में दोबारा सरकार बना सकती है। दो साल पहले राजस्थान को लेकर जो कमेटी बनी थी, उसमें जो कुछ भी हुआ है, उनको लेकर चर्चा हुई। इसी सिलसिले में मैंने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की और पहले भी की थी। आम जन की आवाज को कैसे मजबूत किया जाए, उस पर चर्चा हुई है। संगठन के चुनाव भी चल रहे हैं, उस पर चर्चा हुई।

इस प्रकार राजस्थान के सियासी गलियारों में फिर एक बार फिर से गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाएं जोरों पर हैं। ये चर्चाएं भी बेवजह नहीं है बल्कि इसे कुछ घटनाक्रमों से जोड़ा जा रहा है। हाल ही में डूंगरपुर जिले में रतनपुर बॉर्डर पर कांग्रेस की गौरव यात्रा को संबोधित करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने चुटकी ली थी कि गोविन्द सिंह डोटासरा, डॉ. रघु शर्मा और हरीश चैधरी तो कभी भी वापस मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। यह बात भले ही हल्के-फुल्के अंदाज में कही गई हो लेकिन इसे मंत्रिमंडल फेरबदल के भावी संकेत माने जा रहे हैं। इससे पहले पिछले साल 21 नवंबर को राजस्थान में लंबे सियासी कयासों के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था। पिछली बार जब 21 नवंबर को मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था तो उससे कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री सचिवालय में कर्मचारी संघ के समारोह में गए थे और वहां इसी तरह हल्के-फुल्के अंदाज में मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दिए थे।। अब फिर उसी अंदाज में मुख्यमंत्री ने यह शगूफा छोड़ दिया है। प्रदेश में जुलाई से पहले राज्यसभा चुनाव होने हैं। चर्चाएं हैं कि राज्यसभा चुनाव से पहले ही राजस्थान में यह बड़ा सियासी घटनाक्रम देखने को मिल सकता है।

राज्य मंत्रिमंडल में अधिकतम 30 मंत्री हो सकते हैं। वर्तमान में यह कोटा पूरा है। प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत 20 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्री हैं। अब यदि मंत्रिमंडल में किसी नए चेहरे की एंट्री होती है तो उसकी जगह किसी चेहरे को बाहर भी करना पड़ेगा। ऐसे में परफॉर्मेंस ही इस फेरबदल का पैमाना होगा। पिछली बार जब मंत्रिमंडल में फेरबदल हुआ था तो गोविन्द सिंह डोटासरा, डॉ. रघु शर्मा और हरीश चैधरी मंत्रिमंडल से बाहर हुए थे।

डॉ. रघु शर्मा गुजरात और हरीश चैधरी पंजाब प्रभारी का जिम्मा संभाल रहे हैं तो डोटासरा अभी पीसीसी चीफ हैं। अब इन्हें वापस मंत्रिमंडल में लिया जाता है तो इन्हें वर्तमान जिम्मेदारियों से मुक्त भी किया जा सकता है। सियासी समीकरण साधने के लिए कुछ और चेहरों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।

गहलोत परेशान हैं। राजस्थान की 12वीं बोर्ड की परीक्षा में राजनीति विज्ञान के पेपर में कांग्रेस से जुड़े कुल 8 सवाल पूछे गए। इसको लेकर बवाल मच गया है। भाजपा ने गहलोत सरकार पर हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि इस तरह का प्रश्नपत्र बनाने वाले को निलंबित किया जाना चाहिए। साथ ही शर्मा ने कहा कि कांग्रेस बच्चों के भविष्य के साथ इस तरह खिलवाड़ न करे। यह पहली बार है जब किसी राजनीतिक पार्टी को लेकर इतने सवाल किए गए हों। सभी छह सवालों में कांग्रेस की तारीफ छिपी हुई है। हालांकि, एक-एक सवाल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को लेकर भी पूछे गए हैं। राजस्थान के चैमू से बीजेपी विधायक ने सीधा सवाल करते हुए पूछा कि ये राजनीति विज्ञान का पेपर है या कांग्रेस का इतिहास दर्शन? सवाल इस तरह के हैं जैसे- कांग्रेस की सामाजिक एवं विचारधारात्मक गठबंधन के रूप में संक्षिप्त विवेचना कीजिए।

एक दल के प्रभुत्व का दौर और कांग्रेस प्रणाली-चुनौतियां और पुनर्स्थापना? 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुल कितनी सीटें जीती थी? भारत में प्रथम तीन आम चुनावों में किस दल का प्रभुत्व रहा और क्या हो रहा है। कांग्रेस ने 1967 का आम चुनाव किन परिस्थितियों में लड़ा और इसका जनादेश क्या मिला ,विवेचना कीजिए। 1971 के आम चुनाव कांग्रेस की पुर्नस्थापना का चुनाव रहा। इसकी व्याख्या कीजिए। गरीबी हटाओ का नारा किसने

दिया? और लोकसभा चुनाव 2004 के बाद अनेक महत्वपूर्ण मसलों पर अधिकतर दलों के बीच व्यापक सहमति बनी। राजस्थान के शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि बोर्ड एक स्वायतशासी संस्था है। प्रश्न पत्र तैयार करना बोर्ड का अपना अधिकार है। सरकार का इसमें कोई दखल नहीं रहता है। लेकिन राजस्थान के खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियवास ने कहा कि इसमें गलत क्या है। अगर कांग्रेसे से जुड़े सवाल पूछे तो क्या हो गया। कांग्रेस बड़ी राजनीतिक पार्टी है। इससे कांगे्रस कठघरे में खड़ी हो गयी है। मंदिर तोड़ने की घटना आग में घी का काम कर रही है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ