विश्व विरासत दिवस और प्राचीन पाटलिपुत्र में चक्रवर्ती सम्राट अशोक के अवशेषों की खोज: राकेश कपूर

विश्व विरासत दिवस और प्राचीन पाटलिपुत्र में चक्रवर्ती सम्राट अशोक के अवशेषों की खोज: राकेश कपूर 

विश्व विरासत दिवस के अवसर पर पटना जिला सुधार समिति ने बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से प्राचीन पाटलिपुत्र में चक्रवर्ती सम्राट अशोक के अवशेषों को खोजने की गुहार लगाई है।
जिस पाटलिपुत्र से विश्व के बड़े भूभाग पर सम्राट अशोक ने शासन किया वहीं के इतिहास के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सर्वप्रथम प्राचीन पाटलिपुत्र शहर का रेलवे स्टेशन जो पूर्व बेगमपुर और कालान्तर में पटना सिटी और पटना साहिब के नाम जाता है, उसका नामकरण पाटलिपुत्र स्टेशन न कर ऐसे जगह पर बने स्टेशन का नाम रखा गया है जिसका इतिहास से कोई वास्ता ही नहीं ! पटना जंकशन व पटना शहर का नामकरण पाटलिपुत्र करने के लिए जेनरल एस. के.सिन्हा आन्दोलन करते करते दिवंगत भी हो गये।
चुनावी परिसीमन के तहत इस प्राचीन ऐतिहासिक शहर के साथ साजिशन पुनः खिलवाड़ किया गया। लोक सभा और विधानसभा क्षेत्र का नाम भी पाटलिपुत्र रखते हुये इसके इतिहास का सरकार ने स्मरण नहीं किया। पटना के प्राचीन इतिहास को तोड़ मरोड़ कर मुख्य लोक सभा क्षेत्र को पटना साहिब और पटना पूर्वी विधानसभा क्षेत्र को भी पटना साहिब कर दिया गया।
पिछले दिनों डबल इंजन की सरकार में सम्राट अशोक की जयंती मनाने की जदयू और भाजपा में एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ लगी हुई थी। अशोक को कुशवाहा समाज का ऐतिहासिक पुरुष साबित किया जा रहा था। इसी के तहत दोनों राजनीतिक दल लव-कुश जाति के मत को गोलबन्द करने की कोशिश में जुट गए हैं। यह दुर्भाग्य की बात है कि जिस सरकार को अपनी विरासत को संरक्षित करते देश के सामने प्रस्तुत करना चाहिए वह जातीय समीकरण को गोलबंद करने में जुटी हुई है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सिर्फ अपने गृह जिला नालंदा की धरोहरों की ही चिंता रहती है और उसे ही राष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए प्रयास करते हैं जबकि बिहार में लुप्त होती धरोहरों का संरक्षण करने के लिए प्रयास किया गया होता तो विश्व के मानचित्र में बिहार का विशिष्ट होता! पाटलिपुत्र में सिर्फ अशोक के अवशेषों को खोज निकाल कर सहेजने से ही विश्व धरोहर दिवस की सार्थकता साबित हो पायेगी। अभी सिर्फ ले देकर आंशिक कुम्हार में ही कुछ अशोककालीन अवशेष मिला है। पटना सिटी के धर्म शाला गली स्थित आचार्य चाणक्य की गुफा की व मंगल तालाब की उड़ाही होने पर बहुत कुछ मौर्य कालीन अवशेष मिलने की संभावना है।
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