लोकतंत्र के हित में याचिका

लोकतंत्र के हित में याचिका

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

जनहित याचिकाओं को लेकर भी अब भावना अच्छी नहीं रह गयी है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी लोगों को फटकार लगायी थी कि इस तरह की जनता के नाम पर याचिकाएं दायर कर अदालत का समय बर्बाद किया जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि लोग इस तरह की याचिकाएं दायर करने से बाज नहीं आए तो उनसे हर्जाना भी वसूला जा सकता है। जनहित याचिकाओं को लेकर यह एक पक्ष है लेकिन नाम के अनुरूप जन के हित मंे इस तरह की याचिकाएं सचमुच मंे हितकारी भी होती हैं। ऐसी ही एक याचिका हिन्दू सेना के नेता सुजीत यादव ने सुप्रीम कोर्ट मंे दायर की है। यह याचिका जिस समय दायर की गयी, उसी समय देश के पांच राज्यों मंे चुनाव की प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण मंे पहुंच गयी थी। इन चुनावों मंे विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुनाव जीतने के लिए जनता से कई लुभावने वादे किये हैं। चुनाव को निष्पक्ष और बिना किसी दबाव के सम्पन्न कराने से ही लोकतंत्र मजबूत होता है। इसलिए चुनाव के समय लालच देना भी एक तरह का दबाव ही है। याचिका मंे विभिन्न दलों द्वारा मुफ्त बिजली, लैपटाॅप स्मार्ट फोन और नकद धनराशि देने को भ्रष्ट प्रथा और भ्रष्टाचार बताया गया है। ऐसा करने वालों को सजा देने की भी मांग की गयी है। यह जनहित याचिका लोकतंत्र के व्यापक हित मंे है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करने से तीन मार्च को इनकार कर दिया और मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि यह याचिका मोटिवेटेड लगती है। वकील से कहा कि एक ग्रुप और पार्टियों को निशाना बनाते हुए याचिका दायर की गयी है। यह तकनीकी खामी हो सकती है क्योंकि इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार था।

दरअसल हिन्दू सेना के नेता सुजीत यादव ने याचिका दायर कर कांग्रेस, सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी को ही पक्षकार बनाया था। इन दलों के उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गयी थी। भाजपा का नाम नहीं लिया गया और संभवतः कोर्ट ने इसीलिए सुनवाई से मना किया। इसके बावजूद यह मामला जनता की अदालत में विचारणीय जरूर है क्योंकि सभी दल लोकलुभावन वादे करने लगे हैं।

चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने या मुफ्त उपहार देने का वादा करने वाले राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द करने के लिए इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई। याचिकाकर्ता ने कहा था कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा सरकारी फंड से चुनाव से पहले वोटरों को उपहार देने का वादा करने या उपहार देने का मामला स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल कर केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग को प्रतिवादी बनाया गया था और अर्जी दाखिल कर कहा कि पब्लिक फंड से चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार देने का वादा करने या मुफ्त उपहार बांटना स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के खिलाफ है और यह वोटरों को प्रभावित करने और लुभाने का प्रयास है। इससे चुनाव प्रक्रिया प्रदूषित होती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे चुनाव मैदान में एक समान अवसर के सिद्धांत प्रभावित होते हैं। याची ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त उपहार देने और वादा करना वोटरों को लुभाने का प्रयास है और यह एक तरह की रिश्वत है। याचिकाकर्ता ने कहा कि हाल में शिरोमणि अकाली दल ने इसी कड़ी में वादा किया है कि वह 18 साल से ऊपर की महिलाओं को 2 हजार रुपये प्रति महीने देगा वहीं आम आदमी पार्टी ने एक हजार रुपये प्रति महीने देने का वादा किया है। कांग्रेस ने महिलाओं को 2 हजार रुपये प्रति महीना देने के साथ-साथ साल में 8 सिलिंडर भी हाउस वाइफ को देने का वादा किया है। साथ ही कहा है कि 12 वीं पास लड़की को 20 हजार, 10वीं पास लड़की को 10 हजार रुपये दिए जाएंगे और कॉलेज जाने वाली लड़की को स्कूटी दिया जाएगा। वहीं यूपी में कांग्रेस ने वादा किया है कि 12 में पढ़ने वाली लड़कियों को स्मार्ट फोन और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को स्कूटी दी जाएगी। सपा ने वादा किया है कि महिलाओं को 1500 रुपये पेंशन और हर परिवार को 300 यूनिट प्रति महीने बिजली फ्री दी जाएगी।

याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तरह से किए गए मुफ्त उपहार के वादे को रिश्वत की श्रेणी में माना जाए क्योंकि इससे वोटर प्रभावित होते हैं। चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह सुनिश्चित करें कि राजनीतिक पार्टियां इस तरह के मुफ्त उपहार के वादे न करें या वितरण न करें। सुप्रीम कोर्ट में याची ने गुहार लगाई कि इस बात को घोषित किया जाए कि पब्लिक फंड से चुनाव के पहले मुफ्त देने का वादा और वितरण स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करता है और यह फ्री और फेयर इलेक्शन के बुनियाद को झकझोरता है। साथ ही चुनावी प्रक्रिया को प्रदूषित करता है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि मुफ्त उपहार और वितरण को अनुच्छेद-14 का उल्लंघन माना जाए। इसे रिश्वत घोषित किया जाए और आईपीसी की धारा-171 बी और सी के तहत अपराध माना जाए। चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह राजनीतिक पार्टियों के लिए शर्त तय करें कि वह ऐसा न करें। साथ ही चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि ऐसा करने वाले राजनीतिक पार्टियों का सिंबल सीज किया जाए और उनकी मान्यता रद्द की जाए। केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह राजनीतिक पार्टियों को रेग्युलेट करने के लिए कानून बनाए। कोर्ट ने तब यह दायित्व केन्द्र सरकार को सौंप दिया था। अब उत्तर प्रदेश के 2022 के चुनाव के पहले चरण के मतदान के ठीक दो दिन पहले भाजपा और सपा ने लखनऊ में अपना घोषणापत्र जारी किया। पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि पार्टी 2017 में की गई 212 घोषणाओं में से 92 प्रतिशत वादे पूरे कर चुकी है। अब नये संकल्प हैं। उधर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पहले ही कह चुके थे कि वो सपा का घोषणापत्र भाजपा के घोषणापत्र जारी होने बाद जारी करेंगे और उन्होंने भाजपा के संकल्प पत्र जारी होने के चंद घंटों में ही समाजवादी पार्टी का वचन पत्र लखनऊ में जारी कर दिया। बीजेपी ने इसे लोक कल्याण संकल्प पत्र का नाम दिया है। इस संकल्प पत्र में महिलाओं के लिए कई लोक लुभावन वादे किए गए हैं जिनमें युवा, छात्र, विधवा, निराश्रित महिला सभी के लिए कुछ न कुछ है। इस बार तो बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में स्कूटी तक देने की बात की है। साथ ही महिलाओं के मुफ्त सफर और मुफ्त सिलेंडर तथा पेंशन आदि का भी उल्लेख किया गया है। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में महिलाओं, किसानों और युवाओं पर खास ध्यान दिया है। पार्टी ने महिलाओं के लिए बड़े वादे किए हैं। पार्टी ने विधवा पेंशन को आठ सौ रुपए से बढ़ा कर हर महीने डेढ़ हजार रुपए करने का वादा किया है। इसके साथ ही पार्टी ने कहा है कि होली और दीवाली पर महिलाओं को दो मुफ्त सिलेंडर दिए जाएंगे। इसके साथ ही 60 साल से ऊपर की उम्र की महिलाओं को सरकारी परिवहन में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाएगी। भाजपा की सरकार बनी तो वह कॉलेज जाने वाली लड़कियों को स्कूटी मुफ्त में देगी और गरीब बेटियों की शादी के लिए 25 हजार रुपए की मदद देगी। भाजपा ने युवाओं को स्मार्टफोन देने का वादा किया है और कहा कि हर घर में एक युवा को सरकारी नौकरी या स्वरोजगार का अवसर दिया जाएगा। प्रियंका गांधी की तरफ से यूपी में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी दिए जाने की घोषणा की गयी। हिन्दू सूना के नेता सुजीत यादव ने भाजपा का नाम याचिका में शामिल न करके जनहित याचिका को व्यर्थ कर दिया।
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