स्वयं से प्रतिस्पद्र्धा की सरकार

स्वयं से प्रतिस्पद्र्धा की सरकार

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  • योगी ने कहा सरकार के पहले कार्यकाल में थी कुशासन से सुशासन की प्रतिस्पद्र्धा
  • अब करनी होगी स्वयं से प्रतिस्पद्र्धा
  • बिना रुके बिना, बिना झुके और बिना थके जनता की सेवा का संकल्प


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच रिकार्ड बनाते हुए योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस अवसर पर उन्हांेने एक महत्वपूर्ण बात कही। योगी ने अपने इस दूसरे कार्यकाल को लेकर कहा कि अब सरकार को स्वयं से प्रतिस्पद्र्धा करनी है। अब तक दूसरे दलों की सरकार से प्रतिस्पद्र्धा थी। योगी ने कहा कि सरकार के पहले कार्यकाल में कुशासन से सुशासन स्थापित करने के लिए प्रतिस्पद्र्धा थी। भाजपा सरकार ने वो कार्य सम्पन्न कर लिया है। अब सुशासन को और भी सुदृढ़ करने करने के लिए क्या करना चाहिए, इसकी प्रतिस्पद्र्धा है। योगी ने कहा कि अब स्वयं से प्रतिस्पद्र्धा करने का दौर शुरू होगा। इसके लिए हम सभी को तैयार रहना होगा। एक दिन पहले ही योगी आदित्यनाथ ने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा था कि वो बिना रुके, बिना झुके और बिना थके पांच वर्ष तक समर्पित भाव से प्रदेश की जनता की सेवा करेंगे। योगी आदित्यनाथ को लखनऊ के अटल बिहारी बाजपेई इकाना स्टेडियम में लगभग 2 लाख जनता के बीच राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पार्टी के सांसद, विधायक और पदाधिकारी भी मौजूद थे। इस प्रकार योगी आदित्यनाथ ने स्वयं से प्रतिस्पद्र्धा का यह संदेश सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रखा है। बल्कि पूरे देश तक पहुंचाया है।

स्वयं से प्रतिस्पद्र्धा एक अमोघ मंत्र भी है जो कभी निष्फल नहीं जाता। इसे ही भारतीय दर्शन में आत्मचिंतन भी कहा गया है। अपने बारे में सोचने, निष्कर्ष निकालने का साहस बहुत कम लोग ही कर पाते हैं। संत कबीर ने कहा-

बुरा जो देखन मैं चला

बुरा न मिलिया कोय

जो मन खोजा आपना

तो मुझसे बुरा न कोय।।

यह चिंतन ही स्वयं से प्रतिस्द्र्धा है। योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार सरकार बनाते समय अपनी सरकार का यही लक्ष्य बनाया कि हमने कुशासन से सुशासन की तरफ कदम बढ़ाया है। हमें रास्ता मिल गया लेकिन अभी मंजिल नहीं मिली है। भारतीय दर्शन का चरैवेत-चरैवेत अर्थात् चलते रहो-चलते रहो का सिद्धांत शाश्वत है। हम ठहर गये तो मंजिल हमसे और दूर होती चली जाएगी। विधायक दल की बैठक में नेता चुने जाने के बाद भाजपा विधायकों को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने यही बात तो कही थी। उन्हांेने कहा कि वे बिना रुके, बिना झुके और बिना थके पांच वर्ष तक समर्पित भाव से जनता की सेवा करेंगे।

योगी आदित्यनाथ की बात को हो सकता है, कुछ भाजपाई न समझ पाए हों लेकिन बीते पांच साल के दौरान इतना तो उन्हांेने भी जान लिया होगा कि योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली कैसी है। योगी को मुख्यमंत्री किन हालात में बनाया गया था, यह किसी से छिपा नहीं है और योगी को बीच में हटाने के लिए भी जो राजमहली षड़यंत्र हुए, उनको भी योगी अच्छी तरह समझते हैं। इस बार की सरकार योगी आदित्यनाथ के दम पर बनी है और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी वे अपने दम पर ही बैठ रहे हैं। इसलिए उनके ध्येय डगमगाएंगे नहीं बल्कि सुदृढ़ता से पूर किये जाएंगे। पिछली सरकार में भाजपा के संकल्प पत्र पर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अमल किया। प्रदेश में गंुडाराज-माफियराज को समाप्त करने के लिए पूरे पांच साल तक बुलडोजर चला है। अभी चुनाव के समय योगी ने कहा था कि माफियाओं की अवैध सम्पत्ति पर चलने वाले बुलडोजर मरम्मत होने को गये हैं। मरम्मत कराने की जरूरत तभी होती है, जब कोई मशीनरी पूरी क्षमता से काम करती है। प्रदेश की जनता ने देखा है कि योगी के बुलडोजर कहां-कहां चल रहे थे लेकिन यह भी सच है कि अभी प्रदेश से पूरी तरह माफियाओं का सफाया नहीं हो पाया है। प्रदेश की सरकार ने इसीलिए बुलडोजरों की मरम्मत करा ली है ताकि कांटों की तरह चुभ रहे माफिया जमींदोज किये जा सकें। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह ऐसी प्रजाति है जो पूरी तरह नष्ट की ही नहीं जा सकती। सतयुग से लेकर द्वापर तक यह प्रजाति रही है लेकिन जैसे उन युगों में महाशक्तियां अवतरित हुईं, ठीक वैसी ही योगी आदित्यनाथ को भी भूमिका मिली है। पूर्व की सरकार में संकल्प पत्र के वादे पूरे किये गये। साथ ही विकास के नये कार्यक्रम भी बने हैं। इनका कार्यान्वयन निर्धारित समयावधि में और गुणवत्ता के साथ किया जाना है। योगी ने एक्सप्रेस वे बनवाए हैं लेकिन जो गड्ढे बंद कराये गये थे, वे और गहरे-चैड़े हो गये हैं। चुनाव के दौरान नौकरशाही का वह चेहरा भी सामने आ गया था जो पिछले लगभग चार दशक में बना है। यह चेहरा है सरकार का मुंह देखकर काम करने का। इसीलिए कुछ अफसरों को लगा था कि इस बार प्रदेश में सरकार बदल सकती है, इसीलिए उन्हांेने पार्कों की चहरा दीवारी का रंग बदल दिया था। इस तरह की नौकरशाही को कड़ा पाठ पढ़ाना योगी सरकार का ध्येय होना चाहिए। जनता को रामराज देने का योगी ने वादा किया था, उस पर ही वह अमल कर रहे हैं। इसीलिए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही योगीे आदित्यनाथ ने कहा कि हम बिना रुके, बिना झुके और बिना थके प्रदेश की जनता की सेवा करेंगे। संस्कृत में एक श्लोक है, जिसका तात्पर्य यह कि कुछ लोग विघ्न-बाधाओं के डर से कार्य शुरू ही नहीं करते। कुछ लोग कार्य तो शुरू कर देते हैं लेकिन बाधाएं आने पर कार्य को छोड़ देते हैं और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो काम शुरू करते हैं और चाहे जितनी विघ्न-बाधाएं आती रहें लेकिन कार्य को समाप्त करके ही दम लेते हैं। योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार सरकार बनाते समय न रुकनेे, न झुकने और न थकने की जो दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाई है, वो भी उसी प्रकार की है। वे अपने लक्ष्य को तय कर चुके हैं। नये भारत का नया उत्तर प्रदेश इसी दृढ़ इच्छा शक्ति से ही बन सकता है। वे जानते हैं कि सरकार भी एक टीम वर्क है। इसीलिए पार्टी के सभी विधायकों से उन्हांेने बिना रुके, बिना झुके और बिना थके जनता की सेवा करने का आह्वान किया है।
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