जितन राम मांझी का बयान प्रेसर पोलिटिक्स का हिस्सा है , वो अपने परिवार को सेट करना चाहते है इसलिए ऊलूल जलूल बयान देते है : डॉ राकेश दत्त मिश्र
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 18 दिसंबर (शनिवार) को ब्राह्मण समाज को लेकर बयान दिया था। पटना में भुइयां समाज के मंच से उन्होंने ब्राह्मण समाज के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल किया था । उनके इस बयान का वीडियो रविवार को वायरल हो गया। वीडियो में मांझी कहते नजर आए कि दलित समाज में आजकल सत्य नारायण भगवान की पूजा का प्रचलन काफी तेज हो गया है। जगह-जगह ब्राह्मण जाकर सत्य नारायण भगवान की पूजा कराते हैं। हमारे समाज में ब्राह्मण हरामी (गाली) जाते हैं, लेकिन खाना नहीं खाते हैं। सिर्फ पैसा लेते हैं।सत्यनारायण भगवान और ब्राह्मणों पर आपत्तिजनक शब्द कहकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सम्पूर्ण हिन्दू समाज को अपमानित किया इसी के कारण । उनके खिलाफ कोर्ट में भारतीय जन क्रान्ति दल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ राकेश दत्त मिश्र ने कंप्लेन केस नम्बर ८१०९ दाखिल किया था उसे चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट विजय कुमार सिंह ने आज एमपी एम एल ऐ कोर्ट में सुनवाई के लिए स्थान्तरित कर दिया है| इस मामले में हमारे संवाददाता को पूर्ण जानकारी डॉ मिश्र ने दिया उन्हों ने अपने बयान में कहाकि जीन मामलों में हमने केस किया है उसपर कम से कम 2 से 5 साल तक की सजा हो सकती है | हमें भारत की न्याय व्यवस्था पर पूर्ण विश्वास है | वैसे इस मामले में सबसे पहले गवाही होगी। इसके बाद कोर्ट कांगनिजेंस लेगी। फिर उन्हें कोर्ट की तरफ से समन भेजा जाएगा। अगर समन भेजने के बाद वो कोर्ट नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ वारंट भी जारी हो सकता है। वारंट बेलेबल या नॉन बेलेबल भी हो सकता है। जीतन राम मांझी को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे। इस केस में IPC की (IPC) की धारा 124-A , 153ए , 295A , 298, 499 जैसी धाराओं का इस्तेमाल किया गया। उसके अनुसार ही कार्रवाई होगी। हमने जो केस बनाया है और उनके ऊपर जो गंभीर आरोप लगे हैं जाति को बांटने का, उसके अनुसार 2 साल से लेकर 5 साल तक की सजा उन्हें हो सकती है। हमारे अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने खास जाति पर बयान दिया है। वो प्रमाणित करता है कि उन्होंने समाज में जातीय उन्माद और विद्वेष फैलाने की भावना से आपत्तिजनक बयान दिया था। वो दिखाना चाहते हैं कि ब्राह्मण समाज का आज के समय में कोई अस्तित्व नहीं है। जबकि, उन्हें मालूम होना चाहिए कि समाज को बनाने और आगे बढ़ाने में ब्राह्मण समाज का अस्तित्व काफी बड़ा है। जिस तरह का बयान पूर्व मुख्यमंत्री ने दिया और उनके खिलाफ कंप्लेन केस किए गए हैं तो उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा।
वैसे भी मांझी जी का विवादित बयानों से पुराना नाता है हम आपको उनके द्वारा दिये गये कुछ विवादित बयान बताते है जिससे आप सभी को लगेगा वो किस प्रकार के नेता है |
उन्हों ने कहाकि 10 बजे रात के बाद पिया करो
बिहार में शराबबंदी है और इसको लेकर जीतनराम मांझी ने भी शपथ ली थी। लेकिन अब मांझी को लग रहा है कि शराबबंदी के नाम पर सबसे ज्यादा दलित और पिछड़ी जाति को लोगों को जेल भेजा जा रहा है। इसलिए मांझी गुजरात की तर्ज पर बिहार में शराबबंदी की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में आईएएस-आईपीएस भी शराब पीते हैं अगर आपको भी रात को शराब पीना है तो 10:00 बजे के बाद पीजिए।
उन्हों ने कहाकि हरामी पंडित आते हैं और कहते हैं कुछ नहीं खाएंगे, सब कुछ नगद दे दीजिए
मांझी का कहना है कि वे जब अपने स्कूल की तरफ से एक बार मंदिर गए तो बाकी लड़कों को तो मंदिर में जाने दिया गया। लेकिन, उन्हें हाथ पकड़कर बाहर कर दिया गया। इसके बाद से उन्होंने भगवान की पूजा करनी छोड़ दी। अब कुछ दिनों पहले 18 दिसंबर 2021 को एक सम्मेलन में पंडितो पर विवादित टिप्पण की। कहा कि अब हर टोला में हमलोग के यहां सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है। इतनी बेशर्म, लज्जा नहीं लगता है कि.... पंडित आते हैं और कहते हैं कि कुछ नहीं खाएंगे आपके यहां, सब कुछ नगद दे दीजिए।
उन्हों ने कहाकि राम एक काल्पनिक पुरुष हैं, मैं उन्हें नहीं मानता
मांझी की पार्टी हम बिहार में एनडीए के साथ शामिल है। एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है और भाजपा राम के नाम पर लंबे समय से राजनीति करती रही है। लेकिन जीतन राम मांझी ने इसकी परवाह किए बिना कहा कि वे भगवान राम को नहीं मानते हैं। राम एक काल्पनिक पुरुष हैं। रामायण में कई अच्छी बातें हैं लेकिन मैं राम को नहीं मानता। मूर्तियों की पूजा नहीं करता बल्कि प्रकृति की पूजा करता हूं। माता शबरी की पूजा करता हूं।
उन्हों ने कहाकि आपकी पत्नी घर पर क्या कर रही हैं....
बिहार पलायन की त्रासदी झेलता रहा है। मांझी ने 2014 में कहा था कि बिहार के लोग आजीविका कमाने के लिए असम, महाराष्ट्र और गुजरात जाते हैं, मेरे शब्दों को अन्यथा ना लें लेकिन यह सच है कि एक युवक अपनी पत्नी को छोड़कर पैसा कमाने के लिए दूसरी जगह चला जाता है। आप एक साल बाद लौटते हैं आपकी पत्नी घर पर क्या कर रही है आप उसकी हरकतों से पूरी तरह अनजान रहते हैं।
उन्हों ने कहाकि ....ये तीनों नेता हनीमून पर चले जाते हैं
जीतन राम मांझी ने तीन युवा नेताओं पर भी विवादित टिप्पणी दी थी। उन्होंने राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और चिराग पासवान पर बयान देते हुए कहा था कि जब भी देश या बिहार में किसी प्रकार का संकट आता है देश के ये तीनों नेता हनीमून मनाने के लिए चले जाते हैं।
उन्हों ने कहाकि उच्च जाति के लोग विदेशी, आदिवासी और दलित ही स्वदेशी
आर्य और अनार्य को लेकर इतिहासकारों ने काफी लिखा है। लेकिन सार्वजनिक रुप से यह बयान देकर मांझी ने बैकवर्ड-फारवर्ड की राजनीति गर्म कर दी थी। उन्होंने कहा था कि उच्च जाति के लोग विदेशी हैं और आर्य के वंशज हैं वे विदेशों से यहां आए। केवल आदिवासी और दलित ही स्वदेशी लोग हैं।
उन्हों ने कहाकि कोरोना के डेथ सर्टिफिकेट पर भी पीएम की फोटो हो
कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद जो सर्टिफिकेट सरकार देती है उस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर रहती है। इस पर भी मांझी ने अपनी टिप्पणी दी थी और मांग की थी कि वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर यदि तस्वीर लगाने का इतना ही शौक है तो कोरोना से हो रही मृत्यु के डेथ सर्टिफिकेट पर भी तस्वीर लगाई जाए। यही न्याय संगत होगा। हालांकि इस ट्वीटर को मांझी ने बाद में हटा लिया था।
उन्हों ने कहाकि ठेकेदार का अच्छा नहीं करता तो नक्सलियों द्वारा लेवी वसूली गलत नहीं
मांझी जब सीएम थे, तब उन्होंने नक्सलियों को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर ठेकेदार काम अच्छा नहीं करते हैं, तो नक्सलियों द्वारा की जाने वाली वसूली गलत नहीं है। यदि किसी ठेकेदार को 50 हजार मिलता है तो वह केवल 5 हजार ही खर्च करता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए अब ठेकेदारी में आरक्षण लाया गया है और साफ सुथरे लोगों को काम दिया जा रहा है। ऐसे में विद्रोह का रास्ता अपनाने वाले मुख्यधारा में लौट आएंगे।
वैसे इस प्रकार का बयान वो सिर्फ इसलिए दे रहें है की उन्हें अपने परिवार के बाकी सदस्यों को सेट करना है |यह उनकी राजनीतिक चाल और प्रेशर पॉलिक्टिक्स हैं। वह समय-समय पर इसलिए बयानबाजी तेज करते हैं, क्योंकि उनका राजनीतिक उल्लू सीधा हो सके। उनकी राजनीति अपने परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती नजर आती है। इससे पहले भी 2018 में महागठबंधन में शामिल होने के तुरंत बाद अपने पुत्र संतोष सुमन मांझी को MLC बनवाया था, जबकि विधायक के नाम पर एकमात्र वोट खुद जीतन राम मांझी ही थे। चुनावी गणित में माहिर मांझी ने लालू यादव से साठगांठ कर अपने पुत्र को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) की तरफ से उम्मीदवार बनाकर RJD विधायकों के वोट से MLC बना दिया था। अब एक बार फिर जब बिहार में 24 MLC के सीटों के लिए चुनाव होना है, तो वह इस तरह से बयानबाजी कर रहे हैं। उम्मीद है कि उन्हें NDA की तरफ से ज्यादा सीट मिले और वह अपने परिवार के लोगों को सेट करें। बताया जा रहा है कि वह कम से कम 3 MLC की सीट मांग कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के 2 पुत्र और 5 पुत्रियां हैं। उन्होंने अपने बड़े पुत्र संतोष सुमन मांझी को 2018 में ही RJD की मदद से विधान परिषद भेज दिया था। संतोष मांझी की पत्नी दीपा मांझी जिला परिषद सदस्य हैं। वह भी सक्रिय राजनीति में हैं। मांझी के छोटे पुत्र सक्रिय राजनीति में तो नहीं हैं, लेकिन अपने पिता के साथ देखे जाते हैं। वो बिजनेसमैन हैं।इसके अलावा जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी सक्रिय रूप से राजनीति में हैं। उन्हें लगातार विधानसभा का टिकट देकर चुनाव लड़वाते रहे हैं, लेकिन अब तक जीत नहीं पाए हैं। इससे अलग बात यह है कि 2006 से लेकर 2015 तक जीतन राम मांझी ने मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री रहने तक अपने दामाद को अपने निजी सहायक के रूप में नियुक्त किया था। मांझी चाहते हैं कि किसी भी तरह अपने दामाद देवेंद्र मांझी को सदन में भेजा जाए। इसे ही लेकर जीतन राम मांझी NDA पर दबाव बना रहे हैं। अपने बयानों से NDA के कोर वोटर ब्राह्मण समाज पर हमला करके अपनी राजनीतिक मंशा पूरी करना चाहते हैं। बिहार में भूमिहार ब्राह्मण 6% और ब्राह्मण 5.5% हैं। दोनों को मिला दिया जाए तो कुल आबादी 11.5 फीसदी है। मांझी के इस बयान से दोनों समुदायों के लोग आहत हैं।
क्योकि वो अच्छी तरह से जानते है सरकार की नाव डूबने से बचाने के लिए भी जरूरी हैं मांझी| अगर बिहार विधान सभा के गणित को देखा जाए तो अभी सत्तारूढ़ NDA के पास 127 विधायक हैं। इनमें JDU के पास 45 MLA हैं। एक निर्दलीय का समर्थन है। कुल 46 विधायक हैं। भाजपा के पास कुल 74 विधायक हैं। वहीं, 4 विधायक हम के हैं और 3 VIP के विधायक हैं। एक का निधन हो चुका है।
इधर, महागठबंधन में RJD, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों को मिलाकर 110 विधायक हैं। पांच विधायक AIMIM के हैं। उन्होंने किसी को समर्थन नहीं दिया है।
बिहार में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में मांझी और मुकेश सहनी यदि पलटते हैं तो सरकार संकट में आ जाएगी। इसी बात का फायदा जीतन राम मांझी उठा रहे हैं। हाल में MLC के 24 सीटों पर चुनाव होना है। मांझी उस पर निगाह टिकाए हुए हैं। मांझी इन 24 सीटों में अपने छोटे पुत्र, पुत्रवधू और दामाद को सेट करना चाहते हैं। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
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