नारी श्रृंगार के भावार्थ

अक्सर यह कहा जाता है कि विवाहिता हिन्दू स्त्री को इतना श्रृंगार क्यों करना पड़ता है। उसे इतने बंधनों में क्यों बांधा जाता है। इस का विश्लेषण करते हुए बहुत ही सुंदर व्याख्या सीता जी और उनकी माता सुनयना के संवाद के रूप में किया गया है-
रामायण के अनुसार भगवान राम ने, जब सीता स्वयंवर में जब धनुष तोड़ा था। उसके बाद सीता जी को सात फेरे के लिए, सजाया जा रहा था। तो वह अपनी मां से प्रश्न पूछ बैठी माता श्री इतना श्रंगार क्यों।
उनकी उनकी माताजी ने उत्तर दिया बेटी विवाह के समय वधू का सोलह सिंगार करना आवश्यक है क्योंकि श्रंगार वर वधू के लिए नहीं किया जाता यह तो आर्यव्रत की संस्कृति का अभिन्न अंग है।
" अर्थात सीता जी ने पुनः पूछा इस मिस्सी आर्यवर्त से क्या संबंध है? "
बेटी मिस्सी धारण करने का अर्थ है, कि आज से तुम्हें बहाना बनाना छोड़ना होगा ।
" और मेहंदी का अर्थ? "
मेहंदी लगाने का अर्थ है, कि जग मैं अपनी लाली तुम्हें बनाए रखनी होगी ।
" और काजल का क्या अर्थ है माता जी? "
बेटी काजल लगाने का अर्थ है, कि सील का काजल आंखों में हमेशा, धारण करना होगा, अब से तुम्हें ।
" बिंदिया लगाने का अर्थ माता श्री? "
बिंदिया का अर्थ है, कि आज से तुम्हें शरारत को तिलांजलि देनी होगी। और सूर्य की तरह प्रकाशमान रहना होगा ।
" यह नथ क्यों? "
नथ का अर्थ है मन की, नथ यानी कि किसी की बुराई आज के बाद नहीं करोगी। मन पर लगाम लगाना होगा ।
" और यह टीका? "
पुत्री टीका यश का प्रतीक है। तुम्हें ऐसा कोई कर्म नहीं करना है, जिससे पिता या पति का घर कलंकित हो। क्योंकि अब तुम दो घरों की प्रतिष्ठा हो ।
" और यह बंदिनी क्यों? "
बेटी बंदिनी का अर्थ है, कि पति सास-ससुर आदि की सेवा करनी होगी।
" पत्ती का अर्थ? "
पत्ती का अर्थ है, कि अपनी पंत यानी लाज को, बनाए रखना है ।लाज ही स्त्री का वास्तविक गहना होता है ।
" करण फूल क्यों? "
हे सीते करण फूल का अर्थ है, कि दूसरों की प्रशंसा सुनकर हमेशा प्रसन्न रहना होगा ।
" और इस हंसली से क्या तात्पर्य है? "
हंसली का अर्थ है, कि हमेशा हंसमुख रहना होगा, सुख ही नहीं दुख में भी धैर्य से काम लेना ।
" मोहन माला क्यों? "
मोहन माला का अर्थ है, कि सबका मन मोह लेने वाले कर्म करती रहना ।
" नौलखा हार का क्या मतलब है? "
पुत्री नौलखा हार का अर्थ है, कि पति से सदा हार स्वीकारना सीखना होगा।
" कड़े का अर्थ? "
कड़े का अर्थ है, कि कठोर बोलने का त्याग करना होगा ।
" बांका का क्या अर्थ है? "
बांका का अर्थ है, कि हमेशा सीधा साधा जीवन व्यतीत करना होगा।
" छल्ले का अर्थ? "
छल्ले का अर्थ है कि अब किसी से छल नहीं करना।
" और पायल का क्या अर्थ है? "
पायल का अर्थ है कि, सास व बूढ़ी औरतों के पैर दबाना उन्हें सम्मान देना, क्योंकि उनके चरणों में ही सच्चा स्वर्ग है
" और अंगूठी का अर्थ क्या है?
अंगूठी का अर्थ है , की हमेशा छोटों को आशीर्वाद देते रहना।
" माता श्री फिर मेरे अपने लिए क्या श्रंगार है?"
बेटी आज के बाद तुम्हारा तो, कोई अस्तित्व इस दुनिया में है ही नहीं। तुम तो अब से पति की परछाई हो, हमेशा उनके सुख-दुख में साथ रहना, वही तेरा श्रृंगार है ।और उनके आधे शरीर को तुम्हारी परछाई ही पूरा करेगी
"हे राम " कहते हुए सीता जी मुस्कुरा दी, शायद इसलिए कि शादी के बाद पति का नाम भी, मुख से नहीं ले सकेंगी। क्योंकि पति की अर्धांगिनी होने से कोई स्वयं अपना नाम लेगा, तो लोग क्या कहेंगे।
इस प्रकार बता कर माता सुनयना ने सनातन परंपरा संस्कृति और रीति को सीता जी को समझाया।
आज के पढ़े लिखे हिंदुओं को भी हमारी इस गौरवमयी थाती को अंगीकार करना चाहिए।- मनोज मिश्रा
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