शाकद्वीप और भगवान सूर्य
सत्येन्द्र कुमार पाठक
वेदों , पुरणों , संहिताओं में भगवान शाकद्वीप के आदिदेव भगवान सूर्य का उल्लेख किया गया है ।शाकद्वीप का स्वामी महात्मा भव्य के पुत्रों द्वारा जलद वर्ष ,कुमार वर्ष , सुकुमार वर्ष मनिरक वर्ष कुसुमोद वर्ष गोदाकि वर्ष और महाद्रुम वर्ष की स्थापना की गई थी । शाकद्वीप में उदयगिरि, जलधार , ,रैवतक ,श्याम ,अंभोगिरी , आस्तिकेय और केशरी पर्वत तथा नदियों में सुकुमारी ,कुमारी ,नलिनी ,रेणुका इक्षु , धेनुका तथा गभस्ति नदियाँ प्रवाहित है । शाकद्वीप में मग को मागि ,मगी , सकलदीपी शाकद्वीपीय ब्राह्मण , मागध को क्षत्रिय , मानस को वैश्य तथा मंदग को शुद्र कहा जाता है । शाकद्वीप का क्षेत्र भगवान सूर्य के अधीन है और यहां के निवासियों द्वारा भगवान सूर्य की उपासना की जाती है । मगों द्वारा सौर धर्म के तहत चिकित्सा , आयुर्वेद ,ज्योतिष शास्त्र का उदय एवं प्राकृतिक संरक्षण एवं उपासना पर बल दिया गया । सौर गणना से दिन तथा चंद्र गणना से रात की चर्चा की है । कालांतर सौर धर्म में सौर धर्म और चंद्र धर्म का विकास हुआ था । शाकद्वीप का प्रथम उदयगिरि पर्वत पर भगवान सूर्य उदित हो कर भारतीय उपमहाद्वीप में अनेक स्थानों पर प्रकाशमान हैं। उदयगिरि गुफाओं में मध्य प्रदेश में विदिशा के समीप २० प्राचीन गुफाएँ , उदयगिरि, ओड़ीसा में प्राचीन बौद्ध विहार और स्तूप , उदयगिरि, आन्ध्र प्रदेश -- श्रीकृष्ण देवराय की राजधानी, पहाड़ियों और प्राचीन भवनों के लिए प्रसिद्ध , उदयगिरि और खंडगिरि -- भुवनेश्वर के पास , उदयगिरि, नेल्लोर , उदयगिरि,केरल का कन्नूर , तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिला का उदयगिरि दुर्ग , आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिला ,उड़ीसा के उदयगिरि में श्रीलंका के प्राचीन बौद्ध विहार , मन्दिर है । शाकद्वीप का उदयगिरि पर्वत उड़ीसा , आंध्रप्रदेश , केरल और तमिलनाडु क्षेत्र में विकसित है । शाकद्वीप का गुजरात के जूनागढ़ के समीप रैवतक पर्वत को 'गिरनार' गिरि कहते हैं। रैवतक पर्वत के समीप पांडव पुत्र अर्जुन ने बलराम की बहन रोहाणी की पुत्री तथा अभिमन्यु की माता सुभद्रा का हरण किया था। महाभारत सभा पर्व के अनुसार 'रैवतक पर्वत कुशस्थली द्वारिका के पूर्व की ओर रैवतक पर्वत स्थित था सौराष्ट्र, काठियावाड़ का गिरनार नामक पर्वत ही महाभारत का रैवतक है। 'महाभारत' और 'हरिवंशपुराण के अनुसार रैवतक पर्वत सौराष्ट्र , काठियावाड़ का गिरनार पर्वत है । जैन ग्रंथ 'अंतकृत दशांग' में रैवतक को द्वारवर्ती के उत्तर-पूर्व में स्थित म है तथा पर्वत के शिखर पर 'नंदनवन' नामक एक उद्यानहै।'विष्णुपुराण' के अनुसार आनर्त का पुत्र रैवत ने कुशस्थली में रहकर राज्य किया था । राजा रैवत ने रैवतक पर्वत प्रसिद्ध हुआ था। रैवत की पुत्री 'रेवती' बलराम की पत्नी थी। महाकवि माघ ने 'शिशुपालवध'में रैवतक का सविस्तार काव्यमय वर्णन किया है। जैन ग्रंथ 'विविधतीर्थकल्प' में रैवतक तीर्थ में 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ ने 'छत्रशिला' स्थान के पास दीक्षा ली थी। 'अवलोकन' के शिखर पर उन्हें 'कैवल्य ज्ञान' की प्राप्ति हुई थी। कृष्ण ने 'सिद्ध विनायक मंदिर' की स्थापना की थी। 'कालमेघ', 'मेघनाद', 'गिरिविदारण', 'कपाट', 'सिंहनाद', 'खोड़िक' और 'रेवया' नामक सात क्षेत्रपालों का यहीं जन्म हुआ था। रैवतक पर्वत में 24 पवित्र गुफ़ाएँ जैन सिद्धों से संबंध रहा है। रैवताद्रि का 'जैनस्रोत' 'तीर्थमाला चैत्यवंदनम' में उल्लेख है ।'विष्णुपुराण' के अनुसार रैवतक शाकद्वीप का पर्वत था । भागवत पुराण 9.22.29, 33; ब्रह्माण्ड पुराण 3.71.154, 178; विष्णु पुराण 4.44.35, 20, 30; वायु पुराण 12.17-24; 35.28 में शाकद्वीप का रैवतक पर्वत की चर्चा की गई है ।और 'रेवया' नामक सात क्षेत्रपालों का यहीं जन्म हुआ था। रैवतक पर्वत में 24 पवित्र गुफ़ाएँ जैन सिद्धों से संबंध रहा है। रैवताद्रि का 'जैनस्रोत' 'तीर्थमाला चैत्यवंदनम' में उल्लेख है ।'विष्णुपुराण' के अनुसार रैवतक शाकद्वीप का पर्वत था । भागवत पुराण 9.22.29, 33; ब्रह्माण्ड पुराण 3.71.154, 178; विष्णु पुराण 4.44.35, 20, 30; वायु पुराण 12.17-24; 35.28 में शाकद्वीप का रैवतक पर्वत की चर्चा की गई है । शाकद्वीप में मगध , अंग , कीकट , मिथिला , अवध , कौशल , तथा नेपाल , भारत के बिहार , उड़ीसा , झारखंड , गुजरात , सिंध का क्षेत्र सूर्योपासना का प्रधान है । सौर धर्म द्वारा भारत , नेपाल बर्मा , श्याम ,कंबोडिया ,जावा ,सुमात्रा ईरान ,इराक ,मिश्र , चीन , मेशोपोटेनियाँ में चौथी शती गुप्त काल मे विकसित थी । ऋग्वेद के 1 /19/13 में भगवान सूर्य को चक्षो:सूर्यो अजायत कहा गया है ।
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