‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से आहार विषय पर शोध ऑस्ट्रिया के अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में प्रस्तुत आहार के आध्यात्मिक स्तर की सकारात्मकता निश्चित करनेवाले घटक ध्यान रखें !
'अधिकांश समय हम आहार के स्वाद अथवा उसके पोषण मूल्यों के आधार पर उनका चुनाव करते है; परंतु 'आध्यात्मिक स्तर पर उनका हम पर क्या परिणाम होगा ?', इस विषय में कोई भी विचार नहीं करता; क्योंकि वैसा हमें कभी सिखाया ही नहीं गया है । आहार के घटक सात्त्विक होना, साथ ही भोजन बनानेवाली व्यक्ति, भोजन की प्रक्रिया और रसोईगृह के वातावरण का भोजन की सकारात्मकता अथवा नकारात्मकता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पडता है', ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के श्री. शॉन क्लार्क ने किया । वे विएना, ऑस्ट्रिया में आयोजित 'सेकंड ग्लोबल समिट ऑन फूड साइन्स एंड न्यूट्रिशन', इस अंतरराष्ट्रीय परिषद में बोल रहे थे । इस परिषद का आयोजन 'द पल्सस ग्रूप, यूके' ने किया था । श्री. क्लार्क ने 'हमारे आहार का हमारे प्रभामंडल पर किस प्रकार का परिणाम होता है' यह शोधनिबंध प्रस्तुत किया । इस शोधनिबंध के लेखक महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवले तथा सहलेखक श्री. शॉन क्लार्क है ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से यह 82 वां प्रस्तुतीकरण था । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से अब तक 15 राष्ट्रीय और 66 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए गए हैं । इनमें से 9 अंतरराष्ट्रीय परिषदों में शोधनिबंधों को 'सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार' प्राप्त हुआ है ।
श्री. क्लार्क ने आगे कहा कि हमारा आहार हमारे प्रभामंडल पर सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिणाम करता है । जब नकारात्मक परिणाम होता है, तब शारीरिक स्तर पर सुस्ती, साथ ही विविध रोग निर्माण होते हैं । मानसिक स्तर पर आक्रमक वर्तन, उदासीनता, वैचारिक संभ्रम, निर्णयक्षमता का अभाव, जैसे परिणाम दिखाई देते हैं । तदुपरांत उन्होंने 'प्रभामंडल और ऊर्जा मापक यंत्र' (युनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस)) के माध्यम से शाकाहारी और मांसाहारी पदार्थ, उनके विविध कच्चे घटक, साथ ही यह पदार्थ ग्रहण करनेवाले व्यक्ति के विषय में की जांचों के विषय में विस्तृत जानकारी दी ।
मांसाहारी पदार्थ के किसी भी घटक में सकारात्मक ऊर्जा नहीं पाई गई । मटन में 194.6 मीटर, मुर्गी के मांस में 188.5 मीटर, बांगडे नाम की मछली के मांस में 36.6 मीटर तथा अंडों में 17 मीटर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल था । शाकाहारी पदार्थों के सभी घटकों में सकारात्मक ऊर्जा पाई गई, साथ ही उनमें नकारात्मक ऊर्जा भी थी; परंतु मांसाहारी पदार्थों के घटकों की तुलना में अत्यधिक अल्प थी । उपरोक्त पदार्थ ग्रहण करनेवाले व्यक्ति की पदार्थ ग्रहण करने के 5 मिनिट उपरांत की गई जांच में उसमें बडी मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा पाई गई । विविध पदार्थ खाने के उपरांत व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल - 'चिकन फ्राय' खाने पर 130 मीटर, 'फिश फ्राय ' खाने पर 127 मीटर, 'आमलेट' खाने पर 88 मीटर, 'मिक्स्ड वेेजिटेबल' खाने पर 73 मीटर था ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोध केेंंद्र के रसोईघर में सेवा करनेवाली संत साधिका द्वारा बनाई गई फूलगोभी की सूखी सब्जी खाने पर उस व्यक्ति में नकारात्मक ऊर्जा नहीं पाई गई; परंतु उसकी सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में 17.3 मीटर वृद्धि पाई गई । आहार के विषय में किए शोध से स्पष्ट हुआ है कि आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक आहार व्यक्ति के सर्वांगिण स्वास्थ्य में सहयोग करता है । इसीलिए आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक आहार, भोजन बनाते हुए, साथ ही आहार ग्रहण करते हुए नामजप करना आवश्यक होता है ।
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