मत करो देश पर अब प्रहार
कहते स्वयं को कर्णधार,
रखते न देशहित सद्विचार।
सृजन नहीं विध्वंस पथ पर,
तुम रथ दौड़ाते बार-बार।।
कहते स्वयं को कर्णधार।।
शांतिपूर्ण रक्षित धरती को
करते अशांत हो बार-बार।
देश को टुकड़े करने का,
मन में रखते हो नित विचार।।
कहते हो ............
देश नहीं, सत्ता लक्षित कर
बनाया राजनीति का व्यापार।
राष्ट्रद्रोही को गले लगाते,
रखते राष्ट्रभक्तों से खार।।
कहते हो................
कैसे विश्वास करें तुम पर ,
कैसे हम बढ़कर करें प्यार ।
पूछ रहा ''विवेक'', सच बोलो,
मानोगे कब कुकर्म से हार।।
कहते हो...............
मानव जीवन का यथार्थ नहीं
होना अराजकता का विस्तार।
रोको हिंसा, आतंक प्रसार।
भीषण दानवी अत्याचार।।
कहते हो..............
डॉ. विवेकानंद मिश्र
डॉ. विवेकानंद पथ, गोल बगीचा, गया (बिहार)
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com