जीवन दरिया है
डॉ.इन्दु कुमारी
जीवन है एक दरिया
अविरल बहती जाए
सुख-दुख की बेलिया
बस सहती ही जाए
धैर्य की सीपियां
मोती बनाता है
संकट के थपेरों से
जूझती ही जाए रे
जीवन है संगम भी
मिलते-मिलाते हैं
खुशियों की लड़ी
जीवन को सजाते हैं।
कभी आते हैं बसंत
पतझर भी आते हैं
बारिश की छमछम
नई राग सुनाते हैं
सुहानी होती शरद
ठंडी,एहसास दिलातीहै
सोच सकारात्मकता हो
मंजिल पर पहुँचाती है।
मधेपुरा बिहार
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