श्री. रमेश शिंदे ने आगे कहा कि हिन्दू समाज में ‘हलाल’ के विषय में अभी भी अज्ञान है । भारत में FSSAI और FDI जैसी प्रमाणपत्र देनेवाली भारत सरकार की संस्थाएं होते हुए भी इस्लामी संस्थाओं द्वारा ‘हलाल’ प्रमाणपत्र लेने की अनिवार्यता क्यों ? ‘हलाल’ अब केवल मांसाहारी पदार्थ तक मर्यादित न होकर जीवनावश्यक वस्तु, खाद्यपदार्थ, मिठाई, शीतपेय, चिकित्सालय, निवासी संकुल तक पहुंच गया है । ‘हलाल’ का सभी धन इस्लामिक बैंक में जमा होता है । ‘हलाल व्यवस्था’ अल्पसंख्यकों की तानाशाही है । जहां तानाशाही है, वहां आतंकवाद है, यह ध्यान में रखना चाहिए ।
विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. विनोद बंसल ने कहा कि ‘जमात-ए-इस्लामी’ सहित लगभग 8 से 10 कट्टरतावादी इस्लामी संगठनों को ‘हलाल’ प्रमाणपत्र देने का अधिकार दिया गया है । ‘हलाल’ के पैसों का उपयोग आतंकवादी कार्यवाहियों के लिए किया जाता है । यह केवल भारत की नहीं, अपितु विश्व की सभी घटनाओं से सामने आया है । ‘हलाल सर्टिफिकेट’ देनेवाले सभी प्रतिष्ठानों का हिन्दू बंधुओं को बहिष्कार करना चाहिए और ऐसे प्रतिष्ठान एवं संस्थाओं का खरा स्वरूप सामने लाना चाहिए । हिन्दुओं को स्वयं से पहल करना चाहिए ।
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता गौरव गोयल ने कहा कि ‘हलाल’ द्वारा एकत्रित पैसा किस हेतु उपयोग किया जाता है, इस विषय में संभ्रम है । संभवत: अनुचित कृत्यों के लिए इसका उपयोग किया जाता है, ऐसा लेख प्रसारमाध्यमों पर पढने में आया है । ‘हलाल’ की समांतर अर्थव्यवस्था के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर परिणाम होगा । इसलिए हिंदुओं को केवल दीपावली में ही नहीं, अपितु पूरे वर्ष ‘हलाल’ से स्वयं को बचाना आवश्यक है । हम अधिवक्ता ‘हलाल’ के विरोध में न्यायालयीन मार्ग से संघर्ष करेंगे, ऐसा भी अधिवक्ता गोयल ने कहा ।
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