बचपन की बातें, कौन भूलता है|
बचपन की बातें, कौन भूलता है,
घरोंदे बनाना भी, कौन भूलता है।
बहती थी कश्ती, सदा सबसे आगे,
बरसात में नाव, कौन भूलता है।
कागज के जहाज, उड़ते गगन में,
कभी मार पड़ती, कौन भूलता है।
लड़ना झगड़ना, कुट्टी अब्बा करना,
छीन बांट खाना, कौन भूलता है।
हैं बातें बहुत सी, उस दौर की बाकी,
वो तख्ती पे लिखना, कौन भूलता है।
कभी होती लड़ाई, वह हथियार बनती,
फिर पिटना पीटाना, कौन भूलता है?
अ कीर्ति वर्द्धन
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