नेता भी घुमलन उनकर बेटा भी घुमलन
अनपढ़ के लगलन बुझावे
कि नेताजी घरे घरे घुमलन।
जातिवाद करे शोर जाग अब भैया मोर
एतना दिन सुतल कखनिये से भेल भोर।
जगल के लगलन जगावे
कि नेताजी घरे घरे घुमलन।
ई बिहार हमनी के लुटब तो लूट ल
ओखरी में धान डाल मतलब भर कूट ल।
जनता के बुड़बक बनावे
कि नेताजी घरे घरे घुमलन।
सत्ता में सुखे सुख बाकी सब दुखे दुख
काजू किशमिस पिस्ता से मिट हे हमर भूख।
चल अब भोग लगावे
कि नेता जी घरे घरे घुमलन।
रजनीकांत।
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