वक्त है तुम्हारा : बदल दो तमाशा
सत्येन्द्र कुमार पाठक
वक्त है तुम्हारा बदल दो तमाशा ,
दुनिया कितना सख्त है हमेशा ।।
कदम कदम पर लोग टोकेंगे ।
हमें तुम्हें आगे बढ़ने से रोकेंगे ।।
खुद को बदलना मजबूरी होगी ।
अपनों आप से बहुत दूरी होगी ।।
आदत , इबादत , फुरसत नहीं ।
वक्त कहेगा हमेशा कहावत नहीं ।।
हर एक राजा , जीवन के बगल में ।
रहेगी दासीयां , जीवन के महल में ।।
चूड़ियों की खनखन से ताना सुनेगी ।
हरदम आखों से आंसू वक्त में बहेगी।।
नही बदलेगा जमाना , बदलना पड़ेगा ।
वक्त में खुद को हमेशा बदलना पड़ेगा ।।
अपनो की दूरी से वक्त मिलती रहेगी ।
अच्छाइयों के बादल बरसती रहेगी ।।
बन्द सांसो की घुटन से मत ऊब जाना ।
नही करना शिकायत न करना बहाना।।
दिल दर्द सहके सभी से छुपाना पड़ेगा ।
मां सुलाएगी सिर को सहलाकर ।
खिलाई गई है तुमको बहलाकर ।।
प्रत्येक मोड़ पर साथ पहरा मिलेगा ।
हर पल मां की ममता गहरा मिलेगा ।।
रुको नहीं चलते रहो ममता की छांव में ।
सफलता मिलेगी मां पिता की पांव में ।।
बेटी है भारत की यह सबको दिखाकर ।
पढ़ लिखकर आगे बढ़ना हुनर बनाकर ।।
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com


0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com