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तिरंगा फहर फहर फहराए ।

तिरंगा फहर फहर फहराए ।

शांति समन्वय लिए तिरंगा फहर फहर फहराए ।
निर्भय होकर आसमान में विश्व विजयी लहराए ।
तीन रंग गुण तीन लिए यह भारत का अभिमानी,
यह स्वदेश का प्यारा झंडा विश्व विजयी अभियानी;
आंचल में अमरत्व लिए है कहता ऊपर चढ़ना ,
पहुंच हिमालय के शृंगों पर नया हिमालय गढ़ना ;
पीछे मुड़कर कभी न देखो यह संदेश सुनाए ।
निर्भय होकर आसमान में विश्व विजयी लहराए ।
केसरिया बल पौरुष भरता लौह भुजा में शक्ति.
करे समन्वय रंग हरा यह हरी भरी है धरती ;
सत्य अहिंसा संयम करुणा रंग प्रतीक धवल है ,
चक्र सदा है चलता रहता गाता गीत नवल है;
हमें प्यार है इस झंडे से मर कर गले लगाएँ ।
निर्भय होकर आसमान में विश्व विजयी फहराए।
राष्ट्रभक्ति में राष्ट्र शक्ति का यह संदेश सुनाता ,
जन गण मन सब मुक्त कंठ से वंदे मातरम् गाता ;
नहीं चाहते हम विवाद विस्तार अमन्वय कारी ,
पर जो मेरा रहे सदा वह हम जिसके अधिकारी ;
सन्मुख सुफलम् शास्त्र पीठपर तरकस बाण गिनाए,
निर्भय होकर आसमान में विश्व विजयी फहराए।
नहीं चाहते हम दुनिया में अपना राज बढ़ाना ,
नहीं चाहते औरों के धन बरबस घर में लाना ;
शांति समन्वय प्रणय लोकहित सब कुछ स्वयं सहेंगे,
पर छेड़ा तो पटक वक्ष मस्तक पर लात धरेंगे ;
करुण पलायन नहीं सहेंगे दारूण गान सुनाए ।
निर्भय होकर आसमान में विश्व विजयी फहराए॥
डॉ सच्चिदानन्द प्रेमी
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