राज्यपाल ने वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के जरिये बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के परिसर में नवनिर्मित अस्पताल, आॅफिसर्स क्लब एवं शाॅपिंग काॅम्प्लेक्स भवन का किया उद्घाटन एवं लोकार्पण
- ‘‘पूर्वी भारत की अगली पीढ़ी के लिए बागवानी’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का भी शुभारम्भ
- विश्वविद्यालय के 12वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किये गये कार्यक्रम
महामहिम राज्यपाल-सह-कुलाधिपति श्री फागू चैहान ने आज बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के 12वें स्थापना दिवस के अवसर पर वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के जरिए विश्वविद्यालय परिसर में पूर्णरूपेण भूकंपरोधी एवं वर्षा जल संचयन पद्वति से युक्त नवनिर्मित अस्पताल, आॅफिसर्स क्लब एवं शाॅपिंग काॅम्प्लेक्स भवन का उद्घाटन व लोकार्पण तथा ‘‘पूर्वी भारत की अगली पीढ़ी के लिए बागवानी’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा सूचना तकनीक के विभिन्न माध्यमों -यथा यू-ट्यूब, वाट्सएप, सामुदायिक रेडियो स्टेशन के द्वारा किसानों एवं पशुपालकों सहित आम जनता को इस बीमारी से बचाव एवं अन्य बातों की जानकारी दी गई तथा बाहर से बिहार वापस आने वाले श्रमिकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें कौशल विकास का व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया गया।
उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में उद्यमिता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने तथा स्वरोजगार प्रारम्भ करने हेतु भारत सरकार के सौजन्य से विश्वविद्यालय में एग्री इन्क्यूवेशन सेन्टर की स्थापना की गई तथा इस संदर्भ में 18 युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण प्रदान कर उद्यम स्थापित एवं संचालित करने के लिए कुल 1 करोड़ 44 लाख रुपये अनुदान सहायता के रूप में मुहैया कराया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि बिहार में पर्यावरण सुरक्षा सहित हरित क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के साथ फल, फूल एवं सब्जी उत्पादन के माध्यम से राज्य के नागरिकों को पोषण सुरक्षा प्रदान करने हेतु यह विश्वविद्यालय समेकित बाल विकास योजना अन्तर्गत चार कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से बड़े पैमाने पर उन्नत पौध सामग्री का उत्पादन एवं वितरण कर रहा है। इसके द्वारा खाद्यान्न फसलों के 11 हजार क्विंटल से अधिक बीज के साथ-साथ फल, फूल एवं सब्जी के 700 किलोग्राम बीज एवं 14 लाख पौध सामग्री तथा अन्य उन्नत कृषि उत्पाद किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मौसम परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में राज्य की खेती को जोखिम से बचाने तथा कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने के लिए बिहार सरकार द्वारा किसानों को अनेक प्रकार की मदद दी जा रही है। इस क्रम में धान के प्रभेद ‘सबौर आयुष धान‘ की अनुसंशा की गई है जिसमें जिंक की मात्रा सामान्य धान प्रभेदों की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक है। यह धान जिंक की कमी के कारण राज्य में कुपोषित 48 प्रतिशत बच्चों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
राज्यपाल ने बिहार की शाही लीची को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलने और इसे लंदन भेजे जाने की चर्चा करते हुए आशा व्यक्त की कि इस राज्य का एक अन्य विशिष्ट उत्पाद ‘मखाना’ को भी भौगोलिक सूचक प्राप्त होगा। वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम को बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो॰ अरूण कुमार, तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर की कुलपति प्रो॰ नीलिमा गुप्ता एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्् के उप महानिदेशक, उद्यान डाॅ॰ आनन्द कुमार सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव श्री राॅबर्ट एल॰ चोंग्थू, निदेशक, अनुसंधान डाॅ॰ फिजा अहमद, सह-निदेशक, प्रसार शिक्षा, डाॅ॰ आर॰एन॰ सिंह, विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण, निदेशकगण, वैज्ञानिकगण, पदाधिकारीगण, कर्मचारीगण, उद्यानविद एवं अन्य लोग उपस्थित थे।
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