गुलदस्ते का फूल
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
मैनें नहीं देखा
किसी गुलदस्ते में
सजे हुए सेमर,थेथर के फूल।
क्या देखा है आपने
हाँ तो कर लो एकबार कबूल।।
लेकिन कह न पाओगे
केवल हंगामा मचाओगे
कि अच्छे सौंदर्य और गंध वाले
छिन लिए सेमर,थेथर ने निवाले
वह विरान में फांक रहा है धूल।।
उसमें भी सुंदरता है
रंग है अपना गंध है
फिर भी वह है उपेक्षित
उसे नहीं चाहता शिक्षित अक्षित
उसे क्यों नहीं करते हो कबूल।।
आज भी गुलदस्ते में
सजी रहती है बेला,गुलाब, जूही,
गुलमोहर,कमल,केवडा क्या यूंही
नहीं --- नहीं --
है कुछ इसका विशेष पहचान
तभी तो सज संवर कर वह
लुटा रही है मुस्कान
ऐसा देखकर नहीं कहना चाहिए
कि ये है लोगों की बडी भूल।।
तुम भी वही करोगे
जो आजतक देखते आए हो
गमले में कभी थेथर लगाए ह़ो
बताओ बात बिना दिए तुल।।
जानकर बेकार और सस्ते
उससे नहीं बना सकते गुलदस्ते
बनने के लिए गुलदस्ता
सिर्फ फूल होना हीं
नहीं है गुलदस्ते की योग्यता
उसके लिए होना चाहिए
बहुत कुछ निर्विवाद स्थूल।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)804402.
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