पश्चिमी सभ्यता- पतन का रास्ता डॉ सच्चिदानन्द प्रेमी
परिवार समाज की प्राथमिक संस्था है ।परिवार से घर बनता है ,परिवार से समाज बनता है, परिवार से गांव बनता है, परिवार से राष्ट्र बनता है। हमारे आर्ष ग्रंथों ने तो डंके की चोट पर घोषणा की है कि परिवार से विश्व की रचना होती है -वसुधैव कुटुंबकम ।सारी सृष्टि ही परिवार है। इसीलिए हमारे ऋषियों ने परिवार बसाने और बचाने के लिए ग्रंथों की रचना की थी ।परंतु दुर्भाग्य है कि हमने उन ग्रंथों को दीमक के हवाले कर दिया और निश्चिंत होकर एकल् परिवार का जाप करने लगे ।जहां परिवार है वहां एकल् कैसे हो सकता है ?
पश्चिमी सभ्यता में लोग शादी करना पसंद नहीं करते। इससे अवैध संबंधों को बढ़ावा मिल रहा है। फिर लिव इन रिलेशनशिप नाम की एक नई कुरीति समाज में आ गई है। इससे परिवार श्रृंखला टूटती जा रही है ।अवैध बच्चों की संख्या बढ़ रही है ।चर्च में सेवा भाव से ऐसे बच्चे रख दिए जाते हैं जो भविष्य में क्रिश्चियनिटी के शिकार करवाए जाते हैं। इससे उनकी संख्या बढ़ रही है । हिंदू धर्म समाज के पतन का कारण यही परिवार है ।जनसंख्या की बढ़ती प्रवृत्ति के भय के कारण परिवार विखंडित हो रहा है ।
हिंदू परिवार का अर्थ होता है रक्त पर आधारित रिश्ते। इसमें पिता -माता ,चाचा-चाची, बुआ -फूफा ,मामा -मामी ,मौसी-मौसा, बहन -बहनोई ,पत्नी, साले(श्याला ),ससुर -सास सभी होते हैं ,परंतु आज हम -दो हमारे -दो के नारे में यह परिवार श्रृंखला लुप्तप्राय हो गया है ।इसे इस प्रकार समझा जा सकता है -
पुत्र -दो +पुत्री दो =बचे रिश्ते 5
पुत्र दो +पुत्री एक =बचे रिश्ते 4 (इसमें मौसी नहीं होगी )
पुत्र एक +पुत्री दो =बचे रिश्ते 3 (चाचा ,ताऊ नाम के कोई जंतु नहीं होंगे)
पुत्र एक +पुत्री एक =बचे रिश्ते 2( चाचा ,ताऊ ,मौसा ,मौसी नहीं ,सभी गायब)
पुत्र एक+ पुत्री नहीं =परिवार में कोई नहीं
पुत्र नहीं +पुत्री एक =परिवार में कोई नहीं
तीसरी पीढ़ी तक आते-आते सिंगल चाइल्ड फैमिली परिवार को पूरा प्रभावित करेगा ।यह विश्लेषण सरकारी आंकड़े के आधार पर किया गया है। आपका पौत्र परिवार में अकेला खड़ा नजर आएगा ।परिवार में रक्त से संबंधित रिश्तेदार कोई कहीं नहीं बचेगा ।वह अकेला जीवन जीने को मजबूर होगा ।यह स्थिति हिंदू परिवार की है और हिंदू परिवार के कमजोर होने का या हिंदू धर्म के पतन का भी यही कारण बनेगा ।
दूसरी और इस्लाम के मौजूद परिवारिक श्रृंखला के कारण वह बलवान हो रहा है ।वह अपनी परिवार -पद्धति को मजबूर एवं अविभाजित बनाए हुए है और यही कारण है कि पश्चिमी दुनिया फैमिली सिस्टम के टूटने के कारण तबाह हो रही है और इस्लामिक देशों से लगातार हार रही है ।डेबिट सेंलबॉर्न ने एक किताब लिखी है -लुजिंग बैटल विद इस्लाम (The losing battle with Islam ) । इसमें मात्र इसी की व्याख्या है -पश्चिमी दुनिया इस्लाम से हार रही
है ।इसी से संदर्भित विलबार्नर ने भी एक पुस्तक लिखी है ।इसमें लिखा है कि देर सबेर पश्चिम इस मजबूत फैमिली सिस्टम के अभाव में इस्लाम से हार
जाएगा ।देर सवेर हार के कई कारण हैं इसमें परिवार का विखंडन भी एक कारण है ।" ओल्ड एज होम "इसी की देन है । अब तो राजनीतिक पार्टियां परिवार को बचाने का वादा चुनावी घोषणा पत्र में भी करने लगी हैं । आस्ट्रेलिया में तो फैमिली फर्स्ट नाम की एक पॉलीटिकल पार्टी ही बना ली गई है ।
यह रोग हिंदुओं में भी घुस गया है।जो बच्चे पढ़ने घर से दूर जाते हैं ,उनमें से प्रायः (कुछ) लिव इन रिलेशनशिप को अपना लेते हैं । वे इस भारतीय पद्दति को विवाह शादी के नाम पर व्यर्थ का अर्थ दोहन समझ रहे हैं । इस माध्यम से असांस्कृतिक परिवेश तथा असंवैधानिक संबन्धों को बढ़ावा दिया जा रहा है । प्री वेडिंग सिरोमणी भी इसी का एक नवीनतम महा रोग है ।इसलिए इस महारोग की जानकारी लोगों को चौक चौराहे ,पान की गुमटी ,चाय स्टॉल पर भी उसी तरह देनी चाहिए जैसे कोविड -19 की दी जा रही है । नासमझ लोग तो हंसी उड़ा सकते हैं परंतु कुछ लोगों की इस जानकारी की आवश्यकता है , ऐसा भी हो सकता है ।इसलिए -
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