चाचा ताऊ के घर जाना
चाचा ताऊ के घर जाना, हमको अच्छा लगता है,
छुट्टी में बुआ घर जाना, हमको अच्छा लगता है।
दादा दादी प्यार करें, बच्चों को मां से भी ज्यादा,
पर छुट्टी में नानी घर जाना, हमको अच्छा लगता है।
मौसी कितने लाड़ लडाती, मामा रोज घुमाने जाते,
बस छुट्टी में मामा घर ही, हमको अच्छा लगता है।
प्यार भरी बुआ की बातें, फूफा संग खेतों में जाना,
छुट्टी में यूं मौज मनाना, हमको अच्छा लगता है।
कभी फूट कचरी खाते, कभी आम जामुन की मौज,
वृक्षों पर भी धूम मचाना, हमको अच्छा लगता है।
अ कीर्ति वर्द्धन
फूट कचरी फल ही होते हैं जो अब बहुत कम मिलते हैं।दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
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