‘जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता’ इस विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद !
‘बिछौना देखकर पैर फैलाना चाहिए’, ऐसा कहा जाता है; परंतु जनसंख्या के संदर्भ में भारत पहले ही दस गुना पैर फैला चुका है । संसार की तुलना में भारत की भूमि 2 प्रतिशत तथा पीने का पानी 4 प्रतिशत है; परंतु जनसंख्या 20 प्रतिशत है । भारत का जल, जंगल, भूमि की समस्या; रोटी, कपडा, मकान की समस्या; गरीबी, भुखमरी, बेरोजगा
इस समय हिन्दुत्वनिष्ठ नेता साध्वी डॉ. प्राची ने कहा कि, बढती जनसंख्या के कारण साधन-सुविधाएं कम पड रही हैं, यह हमने कोरोना काल में अनुभव किया है । यह कानून पहले ही बन जाना चाहिए था । आज घुसपैठियों रोहिंग्याआें को भगाने पर ‘सेक्युलर’ और वामपंथी विचारधारा के लोग छाती पीटना प्रारंभ कर देते हैं; परंतु जिस समय लाखों कश्मीरी हिन्दुआें को स्वयं के देश में विस्थापित होकर तंबू में रहना पडा, तब ये ‘सेक्युलर’ और वामपंथी विचारधारा के लोग कहां चले गए थे ? गत 70 वर्षों में घुसपैठियों को बसाने के कारण ऐसी स्थिति हो गई है मानो देश को ‘कैंसर’ हो गया हो । जनसंख्या नियंत्रण कानून के माध्यम से इस रोग पर शस्त्रक्रिया करनी चाहिए । इसके लिए मा. मोदीजी और मा. अमित शहाजी संपूर्ण देश में यह कानून शीघ्रातिशीघ्र बनाएं, ऐसा आवाहन करती हूं ।
इस समय सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने कहा कि, गत अनेक वर्षों से हिन्दुआें ने ‘हम दो-हमारे दो’ का पालन किया है; परंतु अल्पसंख्यक समाज ने ‘हम पाच-हमारे पच्चीस’ नीति का आश्रय लेने के कारण उनकी संख्या पांच गुना बढ गई है । उसका दुष्परिणाम संपूर्ण देश भुगत रहा है । ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ बनाने के लिए 225 सांसदों, 1000 से अधिक विधायकों, 5000 ग्रामपंचायतों तथा 2.5 करोड नागरिकों ने समर्थन करते हुए यह कानून बनाने की मांग की है, तब भी अभी तक यह कानून नहीं बना है । यदि कानून बन भी जाए, तब भी भारत में यह कानून न माननेवाला वर्ग बडी संख्या में है, इसलिए सरकार को कठोरता से इसे कार्यान्वित करना चाहिए, ऐसा भी श्री. वर्तक ने कहा ।
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