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अश्लील गाने के साथ फैशन के नाम पर कपड़ों पर भी रोक लगना चाहिए समाज के लिए दोनो घातक है|

अश्लील गाने के साथ फैशन के नाम पर कपड़ों पर भी रोक लगना चाहिए समाज के लिए दोनो घातक है|

आज के समय बिहार मे शोर मचा हुआ है अश्लील गानों पर जो 101 % सही है,लेकिन यहा पर सिर्फ गित के माध्यम से ज्यादा तर गितकार अपशब्द गाने गा रहे है,अश्लीलता को फैला रहे है जिस का विरोध सामाजीक तौर पर होना चाहिए लेकिन उस को कैसे रोके जो घर-घर अश्लीलता का फैशन चल रहा है,जो लोग गलत शब्द सुनना पसंद नही करते वह लोग अश्लीलता फैशन को कैसे पसंद करते होंगे,सच तो ई है यह लोग समाज मे अश्लीलता को रोकने का तो काम करते है जो बहुत ही बढ़ीया कदम है,लेकिन ई लोग अपने घर के अश्लीलता को नही रोकते है क्यो की वह फैशन है,लेकिन समाज मे अश्लीलता का मूख्य कारण रहन सहन जो गलत फैशन का शिकार होगया है ई लोग क्या बोलते है की देखने का नजरिया लोगो की गलत है,का बे जो देखेंगे वही न बोलेंगे की हाफ पैंट को फुल पैंट मे कैसे देखले,तुम नंगा घुमो मार्केट बजार मे नजरिया हमरा खराब है का बात है,आप का अश्लीलता फैशन सब को दिखता है जो समाज को दूषित करता है,इस मे हम नजर को ढ़क ले या हाफ कट को फूल कट मे देखे,गलत पहनने वाला नही यहा देखने वाले लोग गलत हो जाते है,और ऐसे लोग अश्लील गानो का विरोध कर रहे जो स्वयं अश्लीलता समाज मे फैला रहे है,अश्लील गानो के वजह से आप को मार्केट मे जाने मे शर्म आती है ऑटो मे दिकते होती है लेकिन फटे कपरो मे चलने मे शर्म नही आती है क्यो की आप के लिए वह फैशन है, आम को आम नही कहेंगे तो का टीकोरा कहेंगे नजर मे दोष नही है ,सच तो ई है की वह पहले टीकोरा था अब आम होगया है, जो दिखता है वही न कोई बोलेगा,जो भोजपुरी गित है वह लोग गलत शब्द को ही रखते है ताकी हिट हो,ले किन सच ई है उस का कई शब्द भी बनते है,लेकिन शब्द कुछ भी हो अश्लील है तो अश्लील ही कहेंगे उसे सुनने का मानसिक बदलकर भजन नही कहेंगे

गलत को गलत कहने मे ना नजरिया का दोष होता है ना मानसिकता का,
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