धर्म दर्शन - धर्म अर्थ न्याय विधि विज्ञान।
Philosophy of Dharma - Science of Dharma Economics Law and Justice.
सम्पूर्ण विश्व के समस्त प्रकार के ज्ञान विज्ञान कला तकनीक के प्रथम वैज्ञानिक सूत्र संग्रह का नाम वेद है। वेद के वैज्ञानिक सूत्रों का विषयानुसार विशिष्ट वैज्ञानिक विभक्तिकरण उपवेद के नाम से विख्यात है। वेद की कुल संख्या 4 है:- (1) ऋग्वेद (2) यजुर्वेद (3) सामवेद (4) अथर्ववेद। वेद के वैज्ञानिक सूत्रों के विषयानुसार विशिष्ट वैज्ञानिक विभक्तिकरण से उतपन्न उपवेद हैं:- (1) आयुर्वेद अथवा आयुर्विज्ञान (2) धनुर्वेद अथवा सैन्यविज्ञान) (3) शिल्पवेद अर्थात वास्तुविज्ञान शिल्पविज्ञान अस्त्रशस्त्रनिर्माणविज्ञान विमाननिर्माणविज्ञान (4) गंधर्ववेद अर्थात गीतसंगीतविज्ञान एवं नाट्यशास्त्र (5) अर्थवेद अथवा धर्मअर्थन्यायविधिविज्ञान।
First Compendium of Scientific Formula on this Earth related to scientific knowledge of all kinds of science and technology as well as arts and crafts presented in Easily Memorable Codified Language is called as Veda. Subject wise bifurcation of Vedic Scientific Formula is called as Upaveda.
धर्म दर्शन - धर्मअर्थन्यायविधिविज्ञान।
Philosophy of Dharma - Science of Dharma Economics Law and Justice.
अर्थवेद अथवा धर्मअर्थन्यायविधिविज्ञान के वैज्ञानिक सूत्रों की विस्तृत व्याख्या के रूप में विभिन्न कालखंड में विभिन्न क्षेत्र के विद्वानों की विशद व्याख्या से उतपन्न भारतीय धर्म दर्शन (Indian Philosophy of Dharma) की संख्या कुल 16 है:-
(1) चार्वाक दर्शन (क्षणिक सुखभावना दर्शन तथा वैदिक कर्मकांड की गलत व्याख्या से उतपन्न पाखंडयुक्त अत्यंत क्लिष्ट ईश्वर पूजाविधान और पुजारीवर्ग की विलासिता के अंधविरोध से उतपन्न नास्तिकतावाद का धनसंग्रह और भोगविलास दर्शन)।
(2) बौद्ध दर्शन (चार्वाक दर्शन के वेदविरुद्ध गलत नीतियों का खंडन करते हुए बलि प्रथा के नाम पर जीवहत्या की वेदविरुद्ध गलत परम्परा के शक्तिपूर्ण विरोध से उतपन्न अहिंसावादी जीवनमोक्ष दर्शन)
(3) जैन दर्शन (क्षणिक सुखभावना दर्शन के वेदविरुद्ध गलत नीतियों के चार्वाक दर्शन का खंडन करते हुए बलि प्रथा के नाम पर जीवहत्या की वेदविरुद्ध गलत परम्परा के शक्तिपूर्ण विरोध से उत्पन्न घोर अहिंसावादी जीवनमोक्ष दर्शन)।
(4) रामानुज दर्शन (विशिष्टाद्वैत वेदांत दर्शन)।
(5) पूर्णप्रज्ञ दर्शन (द्वैत वेदांत दर्शन)।
(6) नकुलीश पाशुपत दर्शन (ईश्वरज्ञान द्वारा मोक्षप्राप्ति दर्शन)।
(7) शैव दर्शन।
(8) प्रत्यभिक्षा दर्शन (काश्मीरी शैव दर्शन)।
(9) रसेश्वर दर्शन (आयुर्वेद दर्शन)।
(10) औलुक्य दर्शन (वैशेषिक दर्शन)
(11) अक्षपाद दर्शन (न्याय दर्शन)।
(12) जैमिनी दर्शन (मीमांसा दर्शन)।
(13) पाणिनी दर्शन (व्याकरण दर्शन)।
(14) सांख्य दर्शन (प्रकृति दर्शन)।
(15) पातञ्जल दर्शन (योग दर्शन)।
(16) शांकर दर्शन (आदि शंकराचार्य का अद्वैत दर्शन)।
पांचवीं शताब्दी ईसापूर्व कालखंड में पूजारीवर्ग के वेदविरुद्ध विलासितापूर्ण पाखंडयुक्त जीवनशैली के विश्वव्यापी विरोधस्वरूप कुल चार प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत सर्वाधिक प्रचलित हुए:-
(1) गौतम बुद्ध का बौद्ध दर्शन (पांचवीं शताब्दी ईसापूर्व में भारतीय दार्शनिक गौतम बुद्ध द्वारा प्रचारित बौद्ध दर्शन।
(2) महावीर का जैन दर्शन (पांचवीं शताब्दी ईसापूर्व में भारतीय जैन परम्परा के 24 वें आखिरी तीर्थंकर भारतीय दार्शनिक महावीर द्वारा प्रचारित जैन दर्शन)।
(3) जरथरुष्ट का जोरोस्ट्रीयन दर्शन (पांचवीं शताब्दी ईसापूर्व में ईरान के दार्शनिक जरथरुष्ट अथवा जोरोस्टर द्वारा प्रचारित ईरानी जोरोस्ट्रीयन जीवन दर्शन)।
(4) कन्फ्यूशियस दर्शन (पांचवीं शताब्दी ईसापूर्व में चीन के दार्शनिक कन्फ्यूशियस द्वारा प्रचारित चीनी जीवन दर्शन)।
इसराइल अरब क्षेत्र में कुल तीन प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत प्रचलित हुए:-
(1) यहूदी दर्शन (वैदिक जीवन दर्शन एवं धर्मसिद्धान्त के वैज्ञानिक स्वरूप को माननेवाले प्राचीन इस्राइली परम्परा के पोषक मूर्तिपूजक)।
(2) ईसाई दर्शन (प्रथम शताब्दी के सुप्रसिद्ध दार्शनिक ईसा मसीह अथवा जीसस क्राइस्ट द्वारा प्रचारित ईसाई दर्शन)।
(3) इसलाम दर्शन (सातवीं शताब्दी में अरब के एकमात्र लड़ाका योद्धा दार्शनिक हजरत मोहम्मद अथवा प्रोफेट मोहम्मद द्वारा प्रचारित रक्तरंजित क्रांतिकारी आंदोलन से उतपन्न इसलामी दर्शन)।
सातवीं शताब्दी में इसलाम नामक क्रांतिकारी मज़हबी आंदोलन की शुरुआत के साथ विश्वव्यापी मज़हबी वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई।
मज़हबी वर्चस्व की लड़ाई में हत्या, बलात्कार, लूटपाट, नरसंहार, उग्रवाद, आतंकवाद का विश्वव्यापी खूनी संघर्ष प्रारम्भ हुआ जो आजतक निरंतर जारी है।
हजरत मोहम्मद अथवा प्रोफेट मोहम्मद के तथाकथित अनुसरणकर्ता इसलाम को माननेवाले मुस्लिम लोग विभिन्न मज़हबी गुटों में बंटकर आपस में भी लड़ते रहे और दूसरे मत सम्प्रदाय को माननेवाले लोगों से भी निरंतर लड़ते रहे।
कालांतर में इस्लामी रक्तरंजित खूनी क्रांति द्वारा मज़हबी वर्चस्व की लड़ाई लड़नेवाले तथाकथित मुस्लिम लोग विभिन्न प्रकार के 72 मज़हबी गुटों में बंटकर आपस में भी लड़ते रहे। इसलाम के नाम पर आपस में लड़नेवाले प्रमुख मज़हबी गट निम्नांकित हैं:-
(1) शिया।
(2) सुन्नी।
(3) कुरानवादी।
(4) ख़रीजती।
(5) इबादी।
(6) ज़ैदी।
(7) इस्मायली।
(8) ट्वेल्वर।
(9) अहमदी।
(10) सूफी।
(11) मालिकी।
(12) देवबंदी।
(13) तालिबान।
(14) बरेलवी।
(15) हनाफी।
(16) वहाबी।
(17) हानबली।
(18) शाफ़ई।
सम्पूर्ण विश्व के सभी समुदाय के लोगों द्वारा वैदिक समाजवाद के मूल सिद्धांत का पालन आवश्यक है।
वैदिक समाजवाद द्वारा ही सभी व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व का सर्वतोमुखी पोषणीय विकास (All Round Sustainable Development) तथा सभी प्रकार की समस्या का सही समाधान सम्भव है।
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