मेरी सपना सजाओगी
कुछ कहने को मन नही करता है,
इसलिए आजकल मैं खामोश हूं।
मुझ पर एक इल्जाम है सबका-
इधर मैं नये इश्क में मदहोश हूं।।
तुमसे दिल लगाने की सजा पा रहा हूं,
बस बैठकर बेकार में आंसू बहा रहा हूं।
मेरे इश्क का क्या होगा कुछ खबर नहीं-
मेरी आंखें कह रही आंसू से नहा रहा हूं।।
उधर जाकर भी नहीं भूल पाओगी-
मुझे भरोसा है तुम लौटकर आओगी।
भले आज नहीं देख पा रही हो तुम-
पर कल जरुर मेरी सपना सजाओगी।।
--:भारतका एक ब्राह्मण.
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