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बजा रहा गाल है

बजा रहा गाल है

          --:भारतका एक ब्राह्मण.
            संजय कुमार मिश्र 'अणु'
जो किसी खास पार्टी या -
कोई नेता का दलाल है।
वही आज बोल रहा है-
देखो देश का क्या हाल है।।
        कहीं पुछ नहीं हो रही है-
        उसे इसी बात का मलाल है।
        वह खुश क्यों हैं?इस वक्त-
        यही सोच सोचकर बेहाल है।।
मिल जाय जो वह सामने-
तो स्वागत में जयमाल है।
मेरी खबर नहीं रखते हो तुम
उसे इसी का तो मलाल है।।
           माहिर हैं अपना काम बनाने में,
           बाकि के लिए तो जंजाल है।
           कुछ ऐसी ही परिस्थिति में यार-
           आज फस गया बंगाल है।।
करो कमजोर पर जोर जूल्म-
अब कौन पुछता सवाल है?
घृणित लाश की राजनीति है-
ढारकर आंसू बजा रहा गाल है।।
               वलिदाद,अरवल(बिहार)
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