Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

विभाजक रेखा कर्क

विभाजक रेखा कर्क

         ---:भारतका एक ब्राह्मण.
           संजय कुमार मिश्र 'अणु'
वे निश्चिंत बैठकर
आरामदेह कमरे में
आराम से करते रहे
लोगों से विचार-विमर्श।
आते रहे विचार-सुझाव,
समर्थन और विरोध
बताने लगे सब-
ऐसे में अच्छा वैसे गतिरोध
दिखाने लगे उसे
आराम से निश्चिंत बैठे लोग
रेखांकन में फर्क।।
बनी नीतियां
और फिर लगी घुमने वह
टेबुल से दराज की गलियां
जगह-जगह हांथ से हाथ
होते रहे हस्ताक्षर
बंधती गई रस्सियां
गलती बता दे नया तर्क।।
इधर तेजी से फैलती गई महामारी
उधर नीतियां घुमती रही गलिआरी
वे देखते रहे कागज
ये भोगते रहे बिमारी और लाचारी
जिंदगी बन गई नर्क।।
अब टूट गया भरोसा विश्वास
हो गया है सबको सच्चा एहसास
उन्हें मेरी जान नहीं कुर्सी प्यारी है
सिर्फ अपना विकास जो बचा वह खास
अपने लिए सुरक्षा और सुविधा
बाकि के हिस्से में नो पे नो वर्क।।
         यदि रहते तुम सतर्क।
         नहीं भोगते नर्क।
         सियासत का यही फर्क।
         दो ध्रुवों के बीच में-
         विभाजक रेखा कर्क।।
                  वलिदाद,अरवल(बिहार)
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ