ब्रह्मधर्म
बौद्धिक विकलांग विद्या विहीन ..
व्यर्थ बरगलाई बौड़म व्यवस्था ..
बनी बनाई बुड़बक बुद्धिविहीन .. !
अनजान इल्जाम ही बेईमानी है ..
अधूरी ज्ञान पाप की रानी है .. !
जानते ही नही गंगा के पानी को ..
धर्म सनातन संस्कृति कहानी को .. !!
उच्च से भी उच्चतम उत्कृष्ट सम्मान ..
प्रतिष्ठा प्राप्त नही जिस किसी को ..
संस्कार संस्कृति शिखर मानती है ..
मात्र और मात्र केवल वैदिक ऋषि को .. !!
सरल शंख सनातन सफलता सोपान ..
वर्ण से ब्रह्म तक जाने का वरदान ..
निम्नकुल जन्मधारी सफल सम्मान ..
एक पर एक ऋषि हुए हैं कृतिमान .. !!
ऋषि श्रृंगी , ऋषि कश्यप , महर्षि मतंग ..
व्यास पिता पराशर चाण्डालिन लहू रंग .. !
ऐतरेय मुनि कृप , मुनि वेद , धर्म घनिष्ठ ..
चक्रवर्ती कूलगुरु हुये, नर्तकी पुत्र वशिष्ठ .. !!
विवेक हीन विरोध सा,अबोध नही कर्मकांडी विधि ..
विद्वान पंडित ब्राह्मण नही रहे कभी मार्ग अवरोधी ..
पढ़ कर , जान कर , समझ कर , सोच कर ..
तब कही जा कर अल्फाजे व्या निकाले विरोधी .. !!
जात पंथ के रट पर , बना जमात का तौहीन ..
बेवकूफ बुड़बक बौद्धिक विकलांग विद्या विहीन ..
रोगे राजनीति से हुआ है हर आदमी मतिहीन ..
विलोम बुद्धि ब्रह्मधर्म विरोधी प्रत्यक्ष समक्ष दृष्टिहीन .. !!
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