कोरोना गीत
बज्जिका, लेखक- उषा किरण
कोरोना के कहर बढल हए हो,,,,,,,,,
कोरोना के कहर बढल हए
घरे में रहीहा भइया हो
पहिले अपना के बचइहा
तभीए दोसर बचतइ हो ।
सुन ल ऽ भउजी सुन ल ऽभइआ हो,,,,,,,,,,
सुन ल भउजी सुन ल भइआ
सुन ल ऽ काकी कक्का हो
बहुत जरूरी आबे तबहिं
घर से बहरा जइहा हो।
जभीए घर से बहरा जइहा हो,,,,,,,,,,,,,,
जभीए घर से बहरा जइहा
मुंह में मास्क लगइहा हो
जेक्करा से तू बात करिहा
दू गज दूरी रखिहा हो ।
गरमे गरमे खाना खइहा हो,,,,,,,, ,,,,,,,
गरमे गरमे खाना खइहा
गरमे पानी पीहा हो
हाथ के सेनिटाइज करिहा
तभिए कुछीओ छूइहा हो ।
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