Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों की भूमिका तथा दायित्व सर्वाधिक महत्वपूर्ण

लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों की भूमिका तथा दायित्व सर्वाधिक महत्वपूर्ण


राधा बिहारी ओझा
कल बेंगलुरु से एक मित्र से बात हो रही थी.वे कुछ दिनों पहले ही राजनीति में पूर्णकालिक रुप से दीक्षित हुए हैं.वार्ता के क्रम में जानकारी मिली कि वे सरकारी तंत्र पर बहुत अधिक खफा हैं.उनके अनुसार बी.डी.ओ., सी.ओ., थानेदार से लेकर उपर तक प्रायः सभी अफसर चोर हैं, लुटेरे हैं, आदि.
अब इस तरह के पढ़े-लिखे समझदार किश्म के व्यक्ति को कौन समझावे कि इसमें कौन सी नई बात है!उनको यह कौन समझावे कि लोकतंत्र में इसी तरह की बदमाशियों को नियंत्रित करने के लिए ही तो और रखवाली करने के लिए ही तो नीचे से उपर तक जनप्रतिनिधियों की व्यवस्था की गई है.लेकिन अगर रखवाले ही गड़बड़ हो जायँ तो अधिक दोष रखवालों की है या नौकरों की?
वे आम जनता को और कांग्रेस को भी दोष दे रहे थे.तो अरे भाई! आम जनता को तो स्वतंत्रता के बाद से ही लगातार नेताओं से केवल धोखा मिला और कांग्रेस की गलतियों का ही तो लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला है. तो अब भारतीय जनता पार्टी राजनीति के प्रति आम जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए क्या कर रही है?
वे माननीय प्रधानमंत्री जी की भी बड़ाई कर रहे थे.उनका कहना था कि प्रधानमंत्री एक अकेला क्या कर सकता है?
इस प्रसंग में मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री जी एक अकेले बहुत कुछ कर सकते हैं, जो वे नहीं कर रहे हैं.
1. प्रधानमंत्री जी अपने मानसिक "मन की बात " में काम की बात भी कर सकते हैं.
2. प्रधानमंत्री जी जनप्रतिनिधियों के लिए कर्तव्य तथा उत्तरदायित्व का निर्धारण कर सकते हैं.
3. प्रधानमंत्री जी ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं कि लुटेरा, लंपट,अपराधी तथा हल्की सोच वाला वाहियात किस्म का आदमी राजनीति की तरफ आने की चेष्टा ही नहीं करे.
4. प्रधानमंत्री जी भारतीय जनता पार्टी को पारदर्शी बना सकते हैं तथा इस पार्टी को सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाने की घोषणा कर सकते हैं.
5. प्रधानमंत्री जी अपनी पार्टी के 18 करोड़ कार्यकर्ताओं के आर्थिक सहयोग से अपनी पार्टी का राजनीतिक खर्चा चलाने की पहल कर सकते हैं.
6. प्रधानमंत्री जी यह व्यवस्था भी करने की पहल कर सकते हैं कि जनप्रतिनिधियों को भ्रष्टाचार में शामिल होने का मौका ही नहीं मिले तथा वे जनता के हक की रखवाली करने के लिए बाध्य हों ताकि आम जनता को सही अर्थ में लोकतंत्र का लाभ मिल सके.
7. प्रधानमंत्री जी अगर चाहें तो यह साबित करने की कोशिश कर सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी सचमुच "पार्टी विथ डिफरेंस" है.
हमारे प्रधानमंत्री जी की अगर राजनीति के प्रति तथा देश के प्रति नियत साफ़ हो तो वे बिना कोई समय गँवाये एक झटके में बहुत कुछ बेहतर कर सकते हैं.
हमारे मित्र को तथा देश को यह समझ लेना चाहिए कि अभी हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी को सौभाग्य से जो जो मौका मिला है उसमें वे देश का तथा देश के लोकतंत्र का बहुत भला कर सकते हैं.लेकिन यह हमारे देश का तथा विशेष रूप से हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि वे केवल चुनाव पर, तात्कालिक राजनीति पर तथा भारतीय जनता पार्टी को सत्तासीन करने पर ही अपनी पूरी उर्जा खर्च कर रहे हैं.
कृपया ध्यान दें! अपने लोकतंत्र में जबतक हम अपने जनप्रतिनिधियों को जवाबदेह तथा ईमानदार रहने के लिए मजबूर नहीं करेंगे तथा अच्छी सोच वाले लोगों को राजनीति में आगे आने के लिए प्रोत्साहित नहीं करेंगे तबतक हमारे समाज का, हमारे लोकतंत्र का तथा हमारे देश का भला नहीं हो सकता.
श्री नरेन्द्र मोदी जी भी हजारों अन्य लोगों की तरह इतिहास के पन्नों में गुम हो जाएंगे तथा मिले हुए अच्छे मौके को गँवा देने वाले अभागों की श्रेणी में ही रह जाएँगे.
इसलिए आज की सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि भारत की जनता को लोकतंत्र का सही अर्थ समझाया जाय तथा जनप्रतिनिधियों के लिए आम जनता के प्रति उनके कर्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों का निर्धारण कर सरकारी नौकरों को सही राह पर लाया जाय.
और "सामाजिक सद्चेतना जागरण मिशन" इसी कार्य को करने की कोशिश में लगा हुआ है, जिसमें इस देश के सभी लोगों के सहयोग की आवश्यकता है.
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ