बस नज़र में तुम्हीं तुम टहलती रही
बस कमी आपकी मुझको खलती रही
आपकी याद दिल में मचलती रही
आपको बुलाया था आप आए नहीं
सोचता हूं मेरी कौन गलती रही
खूब महफ़िल सजी और बजी तालियां
बस नजर में तुम्हीं तुम टहलती रही
आस मिलने की दिल में धरी रह गई
अासा मायूस हो हाथ मलती रही
कैसा जादू किया कैसा टोना किया
फूलों में खारों में तुम खिलती रही
फिर कहने का मौका दिया आपने
हो सकी ना मुलाकात टलती रही
'जय'यही सोचता दोष किसको मैं दूं
मेरी किस्मत ही मुझको छलती रही
*
~जयराम जय
'पर्णिका'बी-11/1,कृष्ण विहार,आवास विकास,
कल्याणपुर,कानपुर -208017(उ प्र)
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