Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

सौहार्द

     

सौहार्द    ~~      

छोड़ कर नफरत की बातें, 
चलो हम सभी हांथ मिला लें ।
भुला के सारे शिकवे शिकायत,
 सब को गले लगा लें।

न खींचो नफरत की लकीरें, 
थोड़ा प्यार फरमा लें। 
बाकि चार दिन की है जिंदगी, 
खुशियाँ बेशुमार मनालें। 

घर में खींच जाए अगर कोई दीवार, 
मगर दिल में दरार मत लाना । 
थोड़ी सी बातों में क्यों करते तकरार, 
'संघे शक्ति कलियुगे' भूल मत जाना। 

जब टूट जाता है आपस का प्यार, 
फिर बढ़ जाता है अनचाहा तकरार। 
आपस का सौहार्द कहीं टूट न जाए, 
'प्रीत का रीत' निभाना बना रहे प्यार। 

मन तुम्हारा निर्मल नहीं
कर्म तेरा निश्छल नहीं
प्रभु भजन से ना कुछ पाओगे, 
चारों धाम भी अगर घूम आओगे, 

दिखावे से कुछ नहीं है मिलने वाला, 
जीवन का अनमोल समय व्यर्थ गंवाओगे। 
मृत्युप्रांत स्वर्ग मिले या ना मिले, 
मरने के बाद क्या फिर पछताओगे? 

हमेशा याद रख लो मूरख मानुष, 
जब क्रोध पर विजय पा जाओगे,
निश्चित धरा पर स्वर्ग मिल जाएगा, 
वसुधैव कुटुंबकम का फर्ज निभाओगे। 

✍️ डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश "
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ