जानें 2021 में कब है सरस्वती पूजा? जानें सही तारीख, मुहूर्त, मन्त्र एवं महत्व
वसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस ऋतु में मौसम खूबसूरत हो जाता है। फूल, पत्ते, आकाश, धरती सब पर बहार आ जाती है। सारे पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और नए फूल आने लगते हैं। प्रकृति के इस अनोखे दृश्य को देख हर व्यक्ति का मन मोह जाता है। मौसम के इस सुहावने मौके को उत्सव की तरह मनाया जाता है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं।
आइए जानते हैं मां सरस्वती के अवतरण की कथा
सृष्टि की रचना का कार्य जब भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को दिया तब खुश नहीं थे। सृष्टि निर्माण के बाद उदासी से भरा वातावरण देख वे विष्णु जी के पास गए और सुझाव मांगा। फिर विष्णु जी के मार्गदर्शन अनुसार उन्होंने अपने कमंडल से जल लेकर धरती पर छिड़का। तब एक चतुर्भुज सुंदरी हुई, जिसने जीवों को वाणी प्रदान की। यह देवी विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी थीं, उनके आने से सारा वातावरण संगीतमय और सरस हो उठा इसलिए उन्हें सरस्वती देवी कहा गया।
इसलिए इस दिन सरस्वती देवी का जन्म बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है और इनकी पूजा भी की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में सरस्वती यंत्र स्थापित करते हैं। इस दिन 108 बार सरस्वती मंत्र के जाप करने से अनेक फायदे होते हैं। इस दिन बच्चों की जुबान पर केसर रख कर नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण कराया जाता है...इससे वाणी, बुद्धि और विवेक का शुभ आशीष मिलता है।
मंत्र-‘ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः’
वसंत ऋतु के बारे में ऋग्वेद में भी उल्लेख मिलता है। प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु। इसका अर्थ है सरस्वती परम् चेतना हैं। वे हमारी बुद्धि, समृद्धि तथा मनोभावों की सुरक्षा करती हैं... भगवान श्री कृष्ण ने गीता में वसंत को अपनी विभूति माना है और कहा है ‘ऋतुनां कुसुमाकरः’
इस साल सरस्वती पूजा 16 फरवरी 2021 (मंगलवार) को है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। हिन्दू धर्म में सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। ज्ञान, वाणी, बुद्धि, विवेक, विद्या और सभी कलाओं से परिपूर्ण मां सरस्वती की इस दिन पूजा हाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन सरवती पूजा होती है। इसे वसंत पंचमी, ज्ञान पंचमी या श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष सरस्वती पूजा 16 फरवरी दिन मंगलवार को है। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं सरस्वती पूजा के सही मुहूर्त और महत्व के बारे में।
सरस्वती पूजा 2021 का मुहूर्त
इस वर्ष वसंत पंचमी के दिन आज सरस्वती पूजा 16 फरवरी को सुबह 06:59 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक कर सकते हैं। इस दिन आपको पूजा के लिए कुल 05 घंटे 37 मिनट का समय मिल रहा है। ऐसे में आपको इस दिन स्नान आदि से निवृत होकर सफेद या पीले वस्त्र पहनकर विधि विधान से सरस्वती पूजा करनी चाहिए।
सरस्वती पूजा 2021 की तिथि
इस साल माघ शुक्ल पंचमी तिथि 16 फरवरी को प्रात: 03:36 बजे से शुरू हो रही है। यह अगले दिन 17 फरवरी को प्रात: 05:46 बजे तक रहेगी।
सरस्वती मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
सरस्वती पूजा का महत्व
कहा जाता है कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन ही सरस्वती माता प्रकट हुई थीं, इसलिए इस तिथि को हर वर्ष सरस्वती पूजा मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने बच्चों की शिक्षा प्रारंभ कराते हैं, अक्षर ज्ञान कराते हैं। यह दिन संगीत, कला आदि के ज्ञान अर्जन का शुभारंभ करने के लिए भी उत्तम होता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन सरस्वती पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को ज्ञान, संगीत, कला आदि में निपुण होने का आशीष देती हैं।
सरस्वती पूजा के समय माता को पीले रंग के फूल, पीले रंग के मिठाई, पीले वस्त्र आदि अर्पित करना शुभ माना जाता है।
वसंत पंचमी के दिन विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती की आराधना विविध प्रकार से की जाती है। मंत्रों से की गई आराधना विशेष प्रतिफलित होती है। प्रस्तुत है पुराणों से लिए गए सरस्वती के 3 असरकारी मंत्र :
* 'सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:।
वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।'
* एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र : ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।
* 'वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ॥'
अर्थातः अक्षर, शब्द, अर्थ और छंद का ज्ञान देने वाली भगवती सरस्वती तथा मंगलकर्ता विनायक की मैं वंदना करता हूं। - श्रीरामचरितमानस
वसंत पंचमी के दिन शिव पूजन का भी विशेष महत्व है। इस दिन भगवान भोले की पार्थिव प्रतिमा स्थापित कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की है और जो श्वेत वस्त्र धारण करती है, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली सरस्वती हमारी रक्षा करें ॥1॥
वसंत ऋतु में पंचमी का उत्सव 'मां सरस्वती' के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवती सरस्वती विद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं और विद्या को सभी धनों में प्रधान धन कहा गया है। विद्या से ही अमृतपान किया जा सकता है। विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती की महिमा अपार है। वसंत पंचमी पर पढ़ें संपूर्ण सरस्वती चालीसा... :
दोहा
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्टजनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥
जय जय जय वीणाकर धारी।
करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुज धारी माता।
सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥
तब ही मातु का निज अवतारी।
पाप हीन करती महतारी॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा।
तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामचरित जो रचे बनाई।
आदि कवि की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।
केवल कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता।
तेहि न धरई चित माता॥
राखु लाज जननि अब मेरी।
विनय करउं भांति बहु तेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधु-कैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥
समर हजार पांच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
क्षण महु संहारे उन माता॥
रक्त बीज से समरथ पापी।
सुरमुनि हृदय धरा सब काँपी॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।
बार-बार बिन वउं जगदंबा॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभ-निशुंभा।
क्षण में बांधे ताहि तू अम्बा॥
भरत-मातु बुद्धि फेरेऊ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित को मारन चाहे।
कानन में घेरे मृग नाहे॥
सागर मध्य पोत के भंजे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करई न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें सत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥
रामसागर बांधि हेतु भवानी।
कीजै कृपा दास निज जानी॥
दोहा
मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।
डूबन से रक्षा करहु परूं न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।
राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥
(इति शुभम)
वसंत पंचमी के दिन से इस मंत्र जप का आरंभ करने और आजीवन इस मंत्र का पाठ करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है।
* 'ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।'
- वीणावादिनी मां शारदा का स्वरूप जितना सौम्य है उनके लिए जपे जाने वाले मंत्र उतने ही दिव्य हैं। वसंत पंचमी मां सरस्वती को प्रसन्न करने का दिन है। इस दिन इन मंत्रों को पूर्ण श्रद्धापूर्वक पढ़ने से बल, विद्या, बुद्धि, तेज और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
* 'ऎं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां। सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।'
- मां सरस्वती का सुप्रसिद्ध मंदिर मैहर में स्थित है। मैहर की शारदा माता को प्रसन्न करने का मंत्र इस प्रकार है।
* 'शारदा शारदांबुजवदना, वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।'
- शरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देने वाली मां शारदा समस्त समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें।
* सरस्वती का बीज मंत्र 'क्लीं' है।
- शास्त्रों में क्लींकारी कामरूपिण्यै यानी 'क्लीं' काम रूप में पूजनीय है।
नीचे दिए गए मंत्र से मनुष्य की वाणी सिद्ध हो जाती है। समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला यह मंत्र सरस्वती का सबसे दिव्य मंत्र है।
* सरस्वती गायत्री मंत्र : 'ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्।'
इस मंत्र की 5 माला का जाप करने से साक्षात मां सरस्वती प्रसन्न हो जाती हैं तथा साधक को ज्ञान-विद्या का लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाता है। विद्यार्थियों को ध्यान करने के लिए त्राटक अवश्य करना चाहिए। 10 मिनट रोज त्राटक करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। एक बार अध्ययन करने से यह मंत्र कंठस्थ हो जाता है।
* शारदायै नमस्तुभ्यं मम ह्रदये प्रवेशिनी,
परीक्षायां उत्तीर्णं, सर्व विषय नाम यथा।
* नमस्ते शारदे देवी, काश्मीरपुर वासिनीं, त्वामहं प्रार्थये नित्यं, विद्या दानं च देहि में,
कंबुकंठी सुताम्रोष्ठी सर्वाभरणं भूषितां महासरस्वती देवी, जिह्वाग्रे सन्निविश्यताम्।। दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
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