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गौरैया को अपने आंगन में वापस बुलाने के लिए लगाएं पेड़-पौधे

गौरैया को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा। हमारी यादों से गौरैया को दूर करने में प्रदूषण की भूमिका अहम है, इसलिए उसे वापस बुलाने के लिए हमें पेड़-पौधे लगाने होंगे। ताकि पर्यावरण भी स्वास्थ्य हो और जीवन भी बरकरार रहे। यह बातें रविवार को भू वैज्ञानिक और पर्यावरणविद डॉ. मेहता नगेन्द्र सिंह ने कहीं।

मौका था कलमगार की ओर से एसके पूरी पार्क में आयोजित ‘गौरैया उत्सव’ का। इसमें लंबे समय से गौरैया संरक्षण से जुड़े और पीआईबी पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार की ओर से गौरैया की खींची गई तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई गई। ‘बातें गौरैया की’ में उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि विश्वभर में भले ही गौरैया विलुप्ति के कगार पर खड़ी हो, लेकिन भारत में इसकी संख्या चिंताजनक यानी रेड जोन में नहीं है।
स्टेट ऑफ इंडियन्स बर्ड्स 2020, रेंज, ट्रेंड्स और कंजर्वेशन स्टेट्स के मुताबिक पिछले 25 साल से गौरैया की संख्या भारत में स्थिर बनी हुई है। जेडेआई पटना के संयुक्त निदेशक डॉ. गोपाल शर्मा ने पशु-पक्षियों की चर्चा करते हुए कहा कि सभी छोटे-बड़े जीव इकोसिस्टम के लिए जरूरी है। गौरैया भी इसका हिस्सा है। ऐसे में इसे बचाने की जरूरत है, क्योंकि गौरैया की संख्या कम होती जा रही है।

वेटनरी कॉलेज, पटना के डॉ. पंकज ने कहा कि गौरैया हमारे ही परिवेश में रहती है, लेकिन कई कारणों से यह विलुप्त हो रही है। जरूरत है इस पर ध्यान देने की। यूएनडीपी के अधिकारी कुमार दीपक ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए वेटलैंड की सुरक्षा जरूरी है।

जब वेटलैंड सुरक्षित होगा तो पक्षियों को भी खुद ब खुद संरक्षण मिलने लगेगा। कलमगार के संस्थापक सुमन सौरभ ने भी अपनी बातों को रचनात्मक अंदाज़ में रखते हुए बच्चों को गौरैया से जुड़ी कई कहानियां सुनाई। इस दौरान गौरैया विषय पर आयोजित पेंटिंग कम्पीटिशन में बच्चों ने भाग लिया। उन्हें प्रमाणपत्र, वाटर पॉट व पौधे देकर पुरस्कृत किया गया।



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Plant trees to bring the sparrow back to your courtyard


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/news/plant-trees-to-bring-the-sparrow-back-to-your-courtyard-128010498.html

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