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बिहार चुनाव में क्षेत्रीय दलों की पीठ पर राष्ट्रीय पार्टियां, कोई ऐसा दल नहीं जो अपने बूते प्रदेश में सरकार बना सके

चुनाव आयोग भाजपा, कांग्रेस, राकांपा, बसपा, सीपीआई व सीपएम को राष्ट्रीय दल की मान्यता देता है। बिहार में भी ये दल सक्रिय हैं। चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन आलम यह है कि इनमें से एक भी अब स्थिति में नहीं है कि अपने बूते सभी सीटों पर चुनाव लड़ सके, जीत सके, सरकार बना सके। राष्ट्रीय दलों में से कांग्रेस समेत पांच, राजद के साथ गठबंधन में हैं तो भाजपा ने जदयू से नाता जोड़ रखा है।

गठजोड़ की राजनीति के इस दौर में दोनों गठबंधनों के नारे निपट क्षेत्रीय हैं और क्षेत्रीय दलों के शासन के तौर तरीकों तक ही केंद्रित हैं। एनडीए 15 साल बनाम 15 साल के सवाल पर राजद के लालू-राबड़ी राज को निशाने पर लिए हुए है तो महागठबंधन के प्रमुख घटक राजद के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनका सुशासन का दावा हैं।

राजद के लिए चुनावी मोर्चे पर बड़ी परेशानी यह है कि वह स्टार चेहरे लालू प्रसाद के बगैर इस बार मैदान में है। तेजस्वी चुनाव में गठबंधन का चेहरा हैं, हालांकि इस पर भी जिच है। घटक दलों के अनुसार तेजस्वी राजद का चेहरा हो सकते हैं, महागठबंधन का नहीं।

भीतरखाने के कारण भले कुछ और हों लेकिन हम और रालोसपा ने महागठबंधन छोड़ते वक्त यही कहा कि उन्हें महागठबंधन के चेहरे के रूप में तेजस्वी मंजूर नहीं हैं। कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल भी कह चुके हैं कि तेजस्वी नौजवान हैं और कम अनुभवी लोग आसानी से गुमराह हो जाते हैं।

लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन, पर विधानसभा 2015 में 53 में सिमटी

2015 का विस चुनाव भाजपा के लिए भी लिटमस टेस्ट था। तब भाजपा से गठजोड़ तोड़ जदयू राजद-कांग्रेस के साथ हो ली थी। साल भर पहले लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली भाजपा 53 सीटों पर सिमट गई लेकिन सबसे अधिक 24.42% वोट मिले। लेकिन लड़ी गई 157 सीटों पर भाजपा के वोट 37.48% ही थे जबकि राजद, जदयू और कांग्रेस के क्रमश: 44.35, 40.65 और 39.49% थे। यही वजह थी कि भाजपा ज्यादा वोट पाकर भी सीटें नहीं बटोर पाई।

बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय दलों का प्रभाव ऐसे हुआ कम

आयोग किसे देता है राष्ट्रीय दल का दर्जा

जब किसी पार्टी ने लोकसभा चुनावों में कम से कम 2% सीटें जीती हों, और ये सीटें कम से कम 3 अलग-अलग राज्यों की हों। तो चुनाव आयोग ऐसी पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा देता है। या पार्टी के पास 4 लोकसभा सीटें हों और उसे कुल वोटों का कम से कम 6 प्रतिशत वोट मिला हो। या पार्टी के पास 4 लोकसभा सीटें हों और उसे कम से कम चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में 6% से ज्यादा वोट मिले हों। पार्टी को कम से कम चार राज्यों में ‘स्टेट पार्टी’ की मान्यता मिली हुई हो।



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National parties on the backs of regional parties in Bihar elections, no party that can form government in the state on its own.


source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/news/national-parties-on-the-backs-of-regional-parties-in-bihar-elections-no-party-that-can-form-government-in-the-state-on-its-own-127776045.html

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