
पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) व समझौता (कोंसिलिएशन) प्रक्रिया को कॉस्ट इफेक्टिव बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आर्बिट्रेटर की फीस का निर्धारण कानून में दी गई अधिकतम सीमा के दायरे में ही हो। जस्टिस मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने राज्य सरकार और बेलट्रॉन की याचिकाओं को निष्पादित करते हुए यह आदेश दिया।
कोर्ट ने फैसले में कहा कि आर्बिट्रेशन कानून के तहत आर्बिट्रेटर फीस की अधिकतम सीमा 30 लाख रुपए (20 करोड़ रुपए तक के मामले के लिए) और इससे अधिक रुपए के मामले के लिए 37.5 लाख रुपए निर्धारित है। यह इससे अधिक नहीं हो सकती है।
यह था मामला
आर्बिट्रेशन के दो अलग मामलों में हाईकोर्ट के दो रिटायर्ड जजों ने अपने-अपने आदेश में फीस की निर्धारित अधिकतम राशि से ज्यादा राशि जमा करने का आदेश पक्षकारों को दिया था। फीस के बिंदु पर ही आर्बिट्रेटर के आदेश को बिहार सरकार व बेलट्रॉन ने अलग-अलग रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी।
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source https://www.bhaskar.com/local/bihar/patna/news/high-court-said-arbitrator-fees-cannot-exceed-30-lakhs-and-375-lakhs-127772843.html
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