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पटना में गांगेय एवं समुद्री डॉल्फिन पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

जूलॉजिकलसर्वे ऑफ इंडिया गंगा भूमि प्रादेशिक केंद्र, पटना में गांगेय एवं समुद्री डॉल्फिन पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन वक्ताओं ने कहा-डॉल्फिन को बचाना सबसे जरूरी



पटना, 26 अगस्त 2020, पटना के जूलॉजिकलसर्वे ऑफ इंडिया गंगा भूमि प्रादेशिक केंद्र, पटना में गांगेय एवं समुद्री डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया.

इस वेबिनार में बोलते हुए जूलॉजिकलसर्वे ऑफ कोलकाता के निदेशक डॉ. कैलाश चंद्र ने कहा कि भारत में डॉल्फिन राष्ट्रीय जलीय जन्तु है. भारत केमाननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 15 अगस्त 2020 को लाल किले के प्राचीर से गंगेयडॉल्फिन एवं समुद्री डॉल्फिन के संरक्षण पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम प्रोजेक्टडॉल्फिन कि घोषणा की है जो देश में प्रोजेक्ट टाइगर तथा प्रोजेक्टएलिफैंट के तर्ज पर चलेगा. इसके लिए हम प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं. डॉल्फिन के संरक्षण के कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण हिं क्योंकि यह राष्ट्रीय संपदा है. जूलॉजिकलसर्वे ऑफ इंडिया डॉल्फिन के संरक्षण में हर संभव सहयोग करेगा. हम प्रशिक्षित लोगों के साथ मिलकर डॉल्फिन को बचाने की मुहिम जल्द शुरू कर रहे हैं. वहीं श्रीमाता वैष्णव देवी विश्वविद्यालय कटरा, जम्मू के कुलपति और डॉल्फिनमैन के नाम से विख्यात प्रो. आर के सिन्हा ने डॉल्फिन की उत्पत्ति, इसकी इतिहास एवं अज तक किये गए इसके संरक्षण पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि डॉल्फिन को कुछ लोग भगवान शिव का दूत मानते हैं. इसका कैरेक्टर 20 मिलियन वर्षों में भी नहीं बदला है. प्रो. सिन्हा ने डॉल्फिन के ब्लाइंड होने के रहस्यों पर भी शोध करने की जरूरत बताई. उन्होंने डॉल्फिन के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि इन दिनों सोन के क्षेत्रों में बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर डॉल्फिन की संख्या घट रही है जो चिंता की बात है. उन्होंने नदियों में पानी की कमी तथा इनके धार में कमी की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि जरुरत से ज्यादा नदियों से पानी निकालने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जहां कम पानी की जरुरत है वहां अधिक पानी न निकालें.

वहीं डब्लूटीआई नई दिल्ली के उप-निदेशक डॉ. समीर कुमार सिन्हा ने इस वेबिनार में बोलते हुए इस बात का जिक्र किया कि डॉल्फिन को बचाने में गंगा में रहने वाले कई अन्य जीवों की भूमिका भी अहम् है. इनमें गंगा के घड़ियाल, मछली, स्थानीय एवं प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं. अगर हमें गांगेय डॉल्फिन का संरक्षण करना है तो हमें गंगा के इन जीवों के संरक्षित करना जरूरी है. उन्होनेघरियाल के संरक्षण पर विशेष रूप से बल देते हुए कहा किसी समय में गंडक में केवल 30 घड़ियाल हुआ करते थे परन्तु आज 2000 से ज्यादा घड़ियाल हैं

वहीं जूलॉजिकलसर्वे ऑफ पटना के वरीय वैज्ञानिक और ऑफिसरइंचार्ज डॉ. गोपाल शर्मा ने गंगा डॉल्फिन के साथ साथ समुद्री डॉल्फिन के बचाव के लिए भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को बहुत बहुत बधाई दिया कि समुद्री डॉल्फिन को बचाने के लिए कारगर कदम उठाया है अब हम संरक्षण में जुड़े व्यक्ति एवं संस्था हैं इसकी जिम्मेवारी है कि बेस लाइन डाटा उपलब्ध कराएं साथ ही इसके संरक्षण में जुड़ जाए. इससे जंतुओं की संख्या के साथ साथ पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी जिससे देश की अर्थ व्यवस्था में सुधार आयेगा. इससे स्थानीय लोग भी लाभान्वित होंगे.

डॉ. शर्मा ने समुद्री डॉल्फिन जो कि भारतीय कोस्टल जोन में मिलते हैं उनको बचाने पर बल दिया. वे डॉल्फिन हैं रफटूथेदडॉल्फिन (स्टेनो ब्रेडानेंसिस), हम्पबैकडॉल्फिन (सुसाचाइनेन्सिस, स्ट्राईपेडडॉल्फिन (स्टेनो अट्टेनुआटा), स्पैनरडॉल्फिनस्टीनेल्लालोंगीरोस्ट्रिस), कामनडेल्फिनस( डेल्फिनसडेल्फिस), बोट्त्लनॉजडॉल्फिनटरसीऑप्सट्रंकेटसइर्रावदीडीडॉल्फिनओर्केल्लाब्रेविरोस्ट्रीस,रिस्सोडॉल्फिन (ग्राम्फासग्रिसेयस)

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन गंगा समभूमि प्रादेशिक केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. राहुल जोशी ने किया. इस वेबिनार में 350 लोगों ने अपनी सहभागिता दी, तथा 119 लोग युटूब पर लाइभ रहे.

अन्य महत्वपूर्ण लोगों ने भाग लिया वे हैं श्री आर,के,शर्मा, चम्बलसैन्क्च्युँरी, श्री नवीन कुंअर बिहार राज्य प्रदुषण नियंत्रण पार्षद, श्री नविन कुमार, बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम, श्री डा. एन.के.दास, डॉ, सैयद सबीहहसन, डॉ. दिलीप केडिया आदि ने भाग लिया.


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