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उनकर बात! (मगही गजल)

उनकर बात! (मगही गजल)


उनकर बात हमरा भी मत चलाव,
दूर हट हमरा से जा उधर सुनाव।।
दूसरा के फिकिर में काहे बउराईल ह,
हे सामने समय आयल कुछ काम बनाव।।
फिर पछतयब जब समय चुक जाई,
गलती गर कहली त हमरो समझाव।।
बनला पर सब कोई हाथों हाथ थाम्ह लेई,
बिगडला पर कहतन लोग की पिंड छुडाव।।
उ तो हथ बडका बनल तब का तोहरा,
कहियो ना कहतन तोहरा जीयरा जुडाव।।
'मिश्र अणु' देखले हे उँच-नीच दुनियां के,
झुठ-सांच कहके न हमर माथा पगलाव।।
       ---:भारतका एक ब्राह्मण.
    © संजय कुमार मिश्र "अणु"
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